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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुकाबले गाँववासियोंमें कैसी आध्यात्मिक संस्कृति है। शहरी लोग आत्मसंयम जानते ही नहीं।

लेकिन आपने इस युगके सबसे बड़े अनिष्टको पहचान लिया है। हमें कुछ ऐसी चीज बननेकी कोशिश नहीं करनी चाहिए जो दूसरे लोग न बन सकें। यदि प्रत्येक व्यक्ति इच्छा होनेपर 'गीता' का अध्ययन न कर सकता हो तो मैं 'गीता' का अध्ययन भी नहीं करूँगा। इसीलिए धन कमानेके लिए अंग्रेजी सीखनेकी प्रवृत्तिके खिलाफ मेरी आत्मा विद्रोह करती है। हमें अपने जीवनको इस प्रकार पुनर्व्यवस्थित करना है ताकि आज जो फुर्सत हममें से चन्द लोगोंको ही है वह फुर्सत करोड़ों लोगोंको मिल सके, और ऐसा हम तबतक नहीं कर सकते जबतक कि हम वर्णधर्मका पालन न करें।
प्रश्न : यदि हम उसी प्रश्नपर बार-बार लौटें तो आप कृपया हमें क्षमा करेंगे। हम उसे अच्छी तरह समझ लेना चाहते हैं जो आदमी अलग-अलग समयपर अलग-अलग धन्धे करता हो तो उसका वर्ण क्या हुआ?
उत्तर : जबतक वह व्यक्ति अपने पिताके धन्धेको करता हुआ अपनी जीविका कमाता है तबतक उसके वर्णमें कोई फर्क नहीं पड़ता। वह जो काम चाहे और जबतक चाहे तबतक कर सकता है, बशर्तें कि वह उसे सेवा-भावनासे करे। लेकिन जो व्यक्ति धन-लाभके उद्देश्यसे समय-समयपर अपना धन्धा बदलता है वह अपनेको पतित करता है और वर्ण च्युत हो जाता है।
प्रश्न : किसी शूद्र में ब्राह्मणके सारे गुण हों, फिर भी वह ब्राह्मण नहीं कहला सकता?
उत्तर : इस जन्ममें उसे ब्राह्मण नहीं कहा जायेगा। और यह उसके लिए अच्छी बात है कि जिस वर्ण में उसका जन्म नहीं हुआ है उस वर्णको वह अनधिकारपूर्वक न अपनाये। यह सच्ची विनम्रताका चिह्न है।
प्रश्न : क्या आप मानते हैं कि वर्ण-गुण जन्मतः प्राप्त होते हैं, अर्जित नहीं किये जाते?
उत्तर : उन्हें अर्जित किया जा सकता है। जन्मतः प्राप्त गुणोंको और मजबूत किया जा सकता है और नये गुणोंका विकास किया जा सकता है। लेकिन हमें धन-लाभ के लिए नये रास्तोंकी खोज करनेकी जरूरत नहीं है, करना भी नहीं चाहिए। यदि हमारे बाप-दादोंके धन्धे शुद्ध हैं तो हमें उन बन्धोंसे ही सन्तुष्ट रहना चाहिए।
प्रश्न : क्या आपको ऐसा आदमी नहीं मिलता जिसके गुण उसके पारिवारिक संस्कारोंसे भिन्न हैं?
उत्तर : यह एक मुश्किल प्रश्न है। हम अपने सारे पूर्वचरित्रको नहीं जानते। लेकिन जिस वर्ण धर्मको मैंने आपको समझाने की कोशिश की है उसे समझनेके लिए आपको और मुझे इस सवाल में और ज्यादा गहरे जाने की जरूरत नहीं है। यदि मेरे पिता एक व्यापारी हैं और मुझमें एक सैनिकके गुण हैं, तो मैं बिना कोई पुरस्कार लिए अपने देशकी सेवा एक सैनिकके रूपमें कर सकता हूँ, लेकिन अपनी जीविका अर्जित करनेके लिए मुझे व्यापारसे ही सन्तुष्ट होना चाहिए।