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३९४. पत्र : वी॰ एस॰ भास्करनको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२९ जनवरी, १९२८

प्रिय मास्करन

मुझे तुम्हारा तार और पत्र मिले। मैं यह कहे बिना नहीं रह सकता कि इस्तीफा देनेमें तुमने जल्दबाजी से काम लिया है। तुम खादी सेवामें देशकी सेवा करनेके लिए दाखिल हुए थे, किसीको खुश करनेके लिए नहीं, और किसी अच्छे कार्यके लिए किसी संस्थामें शामिल होनेवाले व्यक्तिको केवल इसलिए उसे नहीं छोड़ना चाहिए कि व्यक्तिगत रूपसे उसके विरुद्ध अन्याय हुआ अथवा उसे ऐसा लगता है कि हुआ। एक सच्चा ईमानदार व्यक्ति जिस संस्था में है, उसे अपनी मानेगा और इसलिए अपने अधिकारोंपर आग्रह किये बिना अपने दायित्वोंको निभायेगा।

अगर कोई अन्याय हुआ है तो तुम्हें श्री राजगोपालाचारीसे उसकी चर्चा करनी चाहिए। तुम चूँकि ऐसा मानते हो कि वहाँ तुम्हारे साथ उचित व्यवहार नहीं होता, इसीलिए तुम्हारे आश्रमकी ओर भागनेका मैं समर्थन नहीं कर सकता। अगर अभी पुनर्विचार करनेकी कोई गुंजाइश हो तो मैं चाहूँगा कि तुम अपनी स्थितिपर फिरसे विचार करो।

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३०५७) की फोटो-नकलसे

३९५. तार : पंजाब कांग्रेस कमेटी, लाहौरको[१]

३० जनवरी, १९२८

महासचिव
पंजाब प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी
लाहौर
आशा है प्रयत्न बिलकुल सफल होंगे।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
ट्रिब्यून, १-२-१९२८
  1. यह तार साइमन कमीशनका बहिष्कार और उसके विरोधमें हड़ताल करनेके सम्बन्धमें भेजा गया था।