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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


प्र॰—देशी राज्यों में सुधार के लिए कोई अखिल भारतीय सत्याग्रह संस्था होनी चाहिए या नहीं?[१]

उ॰—नहीं होनी चाहिए। दक्षिण आफ्रिकामें मेरे साथ ६०,००० आदमी हो गये थे; आज उनमें से कितने लोग सत्याग्रही हैं? आपमें से २२ तो केवल इसलिए चुने गये हैं कि वे जरूरत के वक्त काम आयें। पर जब भी आप कोई काम हाथमें लेंगे—और अविवेक पूर्वक आप कोई कदम उठानेवाले नहीं हैं—उस समय आपको और भी अनेक आदमी मिल जायेंगे। अगर आप समझदार सत्याग्रही हों तो जैसा कि आपने सुझाया है, वैसे किसी अ॰ भा॰ सत्याग्रह दलकी जरूरत नहीं है। अवसर आनेपर आपका और देशका जौहर प्रकट होगा।

प्र॰—सत्याग्रह-बल गुण और संख्यामें किस तरह बढ़ सकता है?

उ॰—हरएक सत्याग्रहीको जाग्रत रहना चाहिए। उसमें आलस्य, शिथिलता, तन्द्रा न हों, उसे कोई व्याधि न हो, यहाँतक कि हर आदमी अपने बारेमें हमेशा विचार करता रहे। अपनी निश्चित की हुई प्रवृत्तिके अन्दर सदा अपनी परीक्षा करता रहे। प्रधान सेनापतिके पास हर सैनिकके कामकाजका लेखा होना चाहिए।

प्र॰—आज तो बहुत-से आदमी अन्त्यज-शाला आदि कामोंमें लगे हुए हैं।

उ॰—मैं तो ऐसे सत्याग्रहीसे पूछूँगा कि उसने बालकोंको किस हदतक सत्याग्रहकी शिक्षा दी है, वह बालकोंके साथ कितना घुल-मिल सका है? और यदि मैं लड़कोंसे पूछें कि यह कौन है तो उन्हें कहना चाहिए कि हम तो इन शिक्षकको पिताके रूपमें ही मानते हैं।

आपमें सत्याग्रही डाक्टर हैं। सत्याग्रही डाक्टर कैसा होना चाहिए, यह मैं बतलाता हूँ। वह गरीबको पहला स्थान दे, मेरे जैसे और दूसरे लोगोंका—जिन्हें जब चाहिए तब डाक्टर मिल जाते हैं—खयाल पीछे करे। गरीबोंको देखकर पूछे कि देखो भाई तुम्हारे दाँत गिर गये हैं, क्या तुम्हें नकली दाँत चाहिए? उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि कोई खराब दाँतोंवाला नहीं मिलता, अब मेरा धन्धा कैसे चलेगा? सत्याग्रही डाक्टरकी विस्तृत व्याख्या 'हिन्द स्वराज्यमें'[२] देख लेना। सत्याग्रही डाक्टर अपने धन्धेसे आजीविका पैदा करनेका तो विचार ही न करे। डा॰ वानलेसने हजारों आदमियोंके ऑपरेशन किये, उनकी संस्थाको लोग हजारों रुपये दे जाते हैं, मगर वे उसमें से अपने लिए एक कौड़ी नहीं रखते। सैम हिगिनवॉटम कृषि विशेषज्ञके रूपमें सिन्धियाके पास थे। उन्हें कृषिके विषयमें केवल सलाह देनेके लिए ४,००० रुपये महीना मिलते थे। पर क्या उसमें से एक कौड़ी भी उन्होंने अपने व्यक्तिगत कामके लिए ली थी? हाँ, हमारे यहाँ भी चन्दूलाल डाक्टर[३] हैं, वे भी यही करते हैं। वे अपने काममें तो माहिर हैं ही किन्तु अपने लिए एक कौड़ी नहीं लेते और गरीब आदमी उनतक आसानीसे पहुँच सकता है।

  1. यह और इसके बादके प्रश्न "सत्याग्रह-दल" के युवकों द्वारा पूछे गये थे।
  2. देखिए खण्ड १०, ५४ ३३-३४।
  3. चन्दूलाल देसाई, दन्त चिकित्सक तथा गुजरातके कांग्रेसी कार्यकर्ता।