पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/५४५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१७
पत्र : एफ॰ डब्ल्यू॰ स्टाइन्थलको

राष्ट्रीय है, और वास्तवमें उसका उपयोग राष्ट्रीय उन्नतिके लिए किया जाता है, तो ऐसी साम्प्रदायिक संस्थाको भी राष्ट्रीय कहा जा सकता है। अतः मैं चाहूँगा कि यदि आप कर सकें तो हकीमजीके इस स्मारककी सहायता करें।

श्रद्धानन्दजीकी मृत्यु जिस ढंगसे हुई उसे देखते उनका स्मारक एक भिन्न और अधिक ऊँचे स्तरपर आता है। लेकिन उनके स्मारककी जैसी संकल्पना है, उसे राष्ट्रीय नहीं कहा जा सकता। यह तो विशुद्ध हिन्दू स्मारक है। क्योंकि शुद्धिकार्य और अस्पृश्यता, ये दोनों चीजें ऐसी हैं जिनको देखनेका काम केवल हिन्दुओंका है। अतः इन दोनों [स्मारकों] को पृथक् रखना होगा। प्रत्येकका अपना एक विशेष उद्देश्य है।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १२३९४) की फोटो-नकलसे।

३८३. पत्र : एफ॰ डब्ल्यू॰ स्टाइन्थलको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२७ जनवरी, १९२८

प्रिय मित्र

आपका पत्र मिला।[१] मैं अगले मंगलवारको तीसरे पहर तीन और पाँच बजेके बीच आपसे मिलकर बहुत प्रसन्न होऊँगा। सोमवारको भी आपका स्वागत है। लेकिन मैं मौन रहूँगा, क्योंकि वह मेरे लिए मौनका दिन है। और आपसे बिलकुल ही भेंट न हो, यानी कि अगर आपको सोमवारकी रातको चला जाना है, उसके बजाय मैं सुझाव दूँगा कि सोमवारको ही आयें। हालाँकि मैं आपसे बोल नहीं सकूँगा, लेकिन आप मुझसे जो कुछ कहना चाहेंगे, कह सकेंगे।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड एफ॰ डब्ल्यू॰ स्टाइन्थल
द्वारा साल्वेशन आर्मी सोल्जर्स होम
दिल्ली
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३०५१) की फोटो-नकलसे।
  1. २३-१-१९२८ का; रेवरेंड स्टाइन्थल और उनकी पत्नी ईसाई मिशनरी थे जिन्होंने लगभग ३० वर्ष बंगाली छात्रों और सन्थाल आदिवासियोंके बीच गुजारे थे और अब भारत छोड़ रहे थे। अपने पत्र में उन्होंने गांधीजीसे मिलने की इच्छा व्यक्त की थी।