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ब्रिटिश मालका बहिष्कार

हो जाती। यह तो अहिंसाका सर्वाधिक कनिष्ठ रूप हुआ। जिसके हृदयसे प्रेमकी निरन्तर धार बहती है वह जगत्को पवित्र बनाता है। ये मेरे शब्द नहीं हैं, महावीर यही कह गये हैं। यही 'गीता' के वचन हैं। मैंने तो इनका बहुत थोड़ा स्वाद लिया है। इसी सत्य और अहिंसाका पालन करनेमें मेरा काम सध जाता है। यदि आप इसका पालन करेंगे तो आपका त्राण हुए बिना नहीं रहेगा। यदि आप पाखण्ड और प्रपंचमें फँसे रहेंगे तो न आपकी खादी बचेगी न आपका पशु-धन। यदि आप सत्यकी धाराको समझ जायें, अहिंसाकी गंगाको समझ जायें, तो मैंने जो बातें कही हैं, उन्हें करना आपको आसान मालूम होगा।

[गुजराती से]
नवजीवन, २९-१-१९२८

३७७. ब्रिटिश मालका बहिष्कार

ब्रिटिश सरकार बड़े ही सुनिश्चित ढंगसे जान-बूझकर जो अपमानजनक और उपेक्षापूर्ण कार्रवाइयाँ करती है, उनके विरुद्ध यदि राष्ट्र अपना क्रोध व्यक्त करनेकी इच्छा करे तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं। इस सम्बन्ध में पता लगनेवाली हर नई बात आगमें घी डालनेका काम करती है। इसकी सबसे हालकी मिसाल वह नफरत है जो कहा जाता है कि लार्ड सिन्हाके मामलेमें स्वर्गीय सम्राट् सप्तम एडवर्ड और उनके पुत्र वर्त्तमान सम्राट्ने भारतीयोंके प्रति जाहिर की थी। राष्ट्र के प्रतिनिधियोंने पिछले कई वर्षोंसे ब्रिटिश मालका आंशिक या पूर्ण बहिष्कार करके अपना क्रोध प्रकट करनेकी कोशिश की थी। अगर राष्ट्र ब्रिटिश मालका बहिष्कार करना चाहे तो यह उसका अधिकार है। अगर उसमें एक आवश्यक सीमातक सफलता मिल सकी तो निःसन्देह उसका बहुत बड़ा असर पड़ेगा।

मगर मेरा यह दुर्भाग्य या सौभाग्य रहा है कि मुझे हमेशा ही ब्रिटिश मालके बहिष्कारकी माँगके विरोधमें लगातार खड़े होना पड़ता है। हालांकि मैं इस बुनियादी सिद्धान्तपर ही कायम हूँ कि प्रस्तावित बहिष्कार अहिंसाके विरुद्ध है, मगर अभी मैं केवल इसकी सम्भावनापर ही विचार करना चाहता हूँ। इतने दिनोंसे इसके लिए इतना जबर्दस्त आन्दोलन चलते रहनेपर भी इस दिशामें कोई प्रगति न हो पाने से यही नतीजा निकलता है कि इसमें बड़ी कठिनाइयाँ हैं। अगर साबुनका ही मामूली-सा उदाहरण लें, तो हमें पता लगेगा कि हमने इंग्लैंडमें बने साबुनतक का बहिष्कार करनेमें कोई प्रगति नहीं की है। कांग्रेस द्वारा नियुक्त समितिने कुछ खास चीजें बहिष्कारके लिए चुनी थीं। पर जहाँतक मैं जानता हूँ, ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई है कि राष्ट्र उनमें एक भी वस्तुको इस्तेमाल करना छोड़ दे। दण्डस्वरूप किये जानेवाले बहिष्कारकी उपयोगिता इसी बातमें है कि उसका कुछ असर पड़े, वह खले। विलायतसे आनेवाली वस्तुओंकी सूची देखनेवाला कोई भी व्यक्ति तुरन्त ही समझ लेगा कि उनमें से अधिकांश वस्तुएँ ऐसी हैं जिनका बहिष्कार करनेसे ब्रिटिश