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भाषण : मोरवीमें

कि ये जातिके बाड़े भी मनुष्यके लिए घातक हैं। यह समझ लीजिये कि ईश्वर कभी ऐसी घातक रचना नहीं कर सकता। मैं अपने अनुभवकी बात कहता हूँ। अगर आप उसे मानेंगे तो सुखी होंगे। समय अपना काम करता रहता है। समयके काम में बाधा डालनी हो तो भले ही डालिये, पर यह मान लीजिये कि बाधा डालना नाहक है। अगर इन बाड़ोंके बचाव में हम नाहक वक्त गँवाया करेंगे, तो वह सूरजके सामने धूल उड़ाकर अपनी ही आँखोंमें डालनेके खेलकी तरह होगा। आपने मुझे मानपत्र न दिया होता तो ये बातें कहने की इच्छा न होती, उसका मौका न मिलता। इस चीजको छोटी न मानिये। बरसोंसे हम वहम और अज्ञानमें पड़े हैं। इस वहम और अज्ञानको ज्ञान मत कहिये। आज दुनियामें जुदा-जुदा धर्मोंका मुकाबला हो रहा है। यदि हम खुले मनसे देखें तो जान पड़ेगा कि हमारी जातियाँ तरक्कीको, धर्मको, स्वराज्यको और रामराज्यको—जिसकी मैं रट लगाये हुए हूँ उस रामराज्यको—रोकनेवाली हैं। मैं आपसे पूछता हूँ कि मोढ़ जातिमें ऐसा क्या धरा है कि हम उसीके गीत गाया करें? जहाँ-तहाँ हमारे आचार और विचारमें विरोध देखा जाता है। हमारे गीतोंका अर्थ अलग है और हमारा आचरण अलग है। यह तो साँप चला गया और लकीर रह गई वाली बात हुई। आचार और विचारमें मेल बैठानेका भगीरथ प्रयत्न कीजिये। आपने मानपत्र दिया है, उसके जवाब में आपसे इस कोशिश की मैं माँग करता हूँ। मैंने जिस खानगी समझौतेकी बात कही है, उसे ही आप मान लेंगे तो मुझे लगेगा कि मेरा आपसे मानपत्र लेना और इस जातिमें जन्म लेना सार्थक हुआ।

मेरा यज्ञ तो आचार और विचारकी एकताके लिए चल रहा है; और मेरे इस यज्ञके कारण मोढ़ जातिने मेरा बहिष्कार किया है; हालांकि बादमें मोढ़ोंने देख लिया कि मैं बहिष्कारके लायक नहीं, क्योंकि मैंने जातियोंसे फायदा उठानेका कभी विचार तक नहीं किया। मैं तो इन बाड़ोंको तोड़नेकी अपनी कोशिशें तेज करना चाहता हूँ। आपको पता नहीं होगा कि मैंने अपने एक लड़केका ब्याह जातिसे बाहर किया है। और इससे मुझे कोई नुकसान नहीं हुआ। मेरे लड़केको एक भक्त वैष्णव कुटुम्बकी लड़की मिली और उसके लिए मेरा लड़का मुझे धन्यवाद देता है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि मैंने तो दूसरी जातिमें से एक जवाहर चुराया है। छोटी-छोटी जातिवालोंसे मैं कहता हूँ कि तुम्हारी लड़कियाँ कुँवारी रहती हों तो मुझे सौंप देना। मैं दूसरी जातिके अच्छे सुशील लड़कोंके साथ तुलसीके पत्ते या सूतके धागे समर्पित करके उनका ब्याह कर दूँगा। मैंने अछूतकी लड़कीको गोद लिया है, फिर भी दूसरी जातिके लोग अपनी लड़की देनेमें संकोच नहीं करते, तो आपको किसलिए डर हो? मैं तो तीन दिन बाद एक मोढ़ कन्याके साथ अपने लड़केकी[१] शादी करनेवाला हूँ। इस तरह मेरा काम चलता रहता है, कोई दिक्कत नहीं आती।

इस तरह मोढ़ जातिके बहाने मैं सब बाड़ेवालोंसे कहना चाहता हूँ कि बाड़े तोड़िये। अठारह वर्ण तो आम लोगोंकी कहावतमें हैं, गुण और कर्मके अनुसार तो चार ही वर्ण हैं। खाने-पीने-सम्बन्धी आचार तो अस्पृश्यताके विषय हैं। वर्ण तो एक ऐसा

  1. रामदास गांधी।