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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करनेके लिए हमें कोई अन्य स्थान खोज लेना चाहिए। रियासतोंके आपसी सम्बन्ध मित्रतापूर्ण होनेके कारण वे एक-दूसरेकी आलोचना करने ही नहीं देंगे। अलबत्ता परिषद अपने वर्त्तमान रूपमें व्यक्तिगत रूपसे किसीकी आलोचना अथवा निन्दा नहीं कर सकती।

तदुपरान्त गांधीजीने कहा कि आलोचना करनेके अतिरिक्त खादीका काम तथा देशी रियासतोंकी बजाय सनातनियों द्वारा अन्त्यजोंके प्रति किये जानेवाले भयंकर अन्यायको दूर करनेका काम तुम्हारे सामने पड़ा हुआ है।

[गुजरातीसे]
प्रजाबन्धु, २९-१-१९२८

३७४. तार : मीराबहनको

वरतेज
२३ जनवरी, १९२८

मीराबाई
द्वारा जमनादास गांधी
मिडिल स्कूलके सामने
राजकोट

रोनाने[१] तार दिया है पिताका शुक्रवारकी रात शान्तिपूर्वक देहान्त होगया। शान्ति और प्रेम।

बापू

अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३००) से तथा जी॰ एन॰ ८१९० से भी।
सौजन्य : मीराबहन

३७५. भाषण : वरतेजमें[२]

२४ जनवरी, १९२८

हिन्दू अन्त्यजोंकी सेवा करते हैं तो इसमें वे उनपर कोई उपकार नहीं करते बल्कि अपने ऊपर ही उपकार करते हैं। अपने अन्त्यज कहे जानेवाले भाइयोंको अन्त्यज बनानेके लिए हिन्दू ही उत्तरदायी हैं और ऐसा करके उन्होंने जो पाप किया है उसका मार्जन और प्रायश्चित्त वे जितना करें, उतना कम है। इसलिए अन्त्यजोंकी सेवा करनेका थोड़ा भी अवसर जब मुझे मिलता है तो मैं उसका स्वागत करता हूँ और

  1. मीराबहनकी बहन।
  2. तत्कालीन भावनगर रियासतका एक गांव। गांधीजीने वहाँ अन्त्यजोंके लिए एक राम मन्दिरका शिलान्यास किया था।