पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/५२९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०१
पत्र : मदनमोहन मालवीयको

समयकी तरह ही सख्त बनी रही। आपको वहाँ ऐसा कोई व्यक्ति रखना चाहिए जो परिणामोंकी जाँच करनेके लिए बराबर चरखेपर काम करता रहे। मैं चाहता हूँ कि आप एक निर्दोष चरखा तैयार करें, और ऐसा आप तबतक नहीं कर सकते जबतक एक आदमी हमेशा उसपर काम नहीं करता और उसमें आवश्यक सुधारोंका सुझाव नहीं देता रहता।

सप्रेम,

बापू

अंग्रेजी (जी॰ एन॰ १५८४) की फोटो-नकलसे।

३७१. पत्र : मदनमोहन मालवीयको

सत्याग्रह आश्रम
पौष कृष्ण १३ [२० जनवरी १९२८][१]

भाई साहब

आपके तारका उत्तर मैंने दीया था।[२] अब मुझे आपकी सम्मति जामीया फंडके लीये चाहीये।

बिदेसी कपडोंके बहिष्कारकी बात आपने उठाई है। परंतु उसी के साथ आपने मीलोंके कपडेकी बात भी कही है। मैं आपको कीस तरह समझा दूँ कि जब तक मील वाले हमारे साथ कुछ सन्धि न करे और उनके दामों पर हम अंकुश न रख सके तब तक मीलोंकी मदद निरर्थक ही नहिं परंतु हानिक [र][३] है। उ [लटा][४] जैसे पूर्व काल में बंगालमें हुआ इसी तरह अब भी होगा और लोगोंका विश्वास बहिष्कारकी शक्यता पर से उठ जायगा।

यदि मेरी भाषा या मेरे अक्षर समजनेमें कठिनाई है तो आप मुझे कह देंगे। मैं अंग्रेजीमें बिबस होकर लीखुँगा। मुझको तो मेरी टूटी-फूटी राष्ट्रभाषा ज्यादा प्रिय है।

आपका,
मोहनदास

जी॰ एन॰ ८६८२ की फोटो-नकलसे।
  1. जामिया कोषके उल्लेखसे; देखिए पिछला शीर्षक भी।
  2. देखिए "तार : मदनमोहन मालवीयको", ९-१-१९२८ या उसके पश्चात्।
  3. अस्पष्ट है।
  4. अस्पष्ट है।