पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/५२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तुमने एन्ड्रयूजकी जो आलोचना की है वह उचित नहीं है। मैं उसमें जल्दबाजी और अधीरता देखता हूँ। एन्ड्रयूज तुमसे झूठ बोलेंगे, यह नहीं हो सकता। को[१] विस्मरण हो गया हो या एन्ड्रयूजको गलतफहमी हो गयी हो, ऐसा हो तो हो । एन्ड्रयूज जैसा सज्जन व्यक्ति जब हमारे लिए निःस्वार्थ भावसे खट रहा है तब हमें यह शोभा नहीं देता कि हम उनपर नाराज हों या दोषारोपण करें।

आशा है तुम्हारी और मेढकी तबीयत ठीक होगी। मैं तो आजकल यात्रा कर रहा हूँ ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ५०४१) की फोटो-नकलसे ।

१९. पत्र : मणिलाल गांधीको

[ २३ सितम्बर, १९२७]

[२]

चि० मणिलाल,
तुम्हारा पत्र मिला।

इसके साथ प्रागजीके लिए भी एक पत्र रख रहा हूँ। उसे पढ़कर उन्हें पहुँचा देना जिससे उनके सम्बन्धमें मुझे तुम्हें दुबारा न लिखना पड़े। एन्ड्रयूजके विषयमें तुमने जिन शब्दोंका प्रयोग किया है उन्हें मैं अनुचित मानता हूँ उनके जैसे सेवापरायण व्यक्तिके सम्बन्धमें ऐसे शब्दोंका व्यवहार शोभन नहीं है। प्रागजी और मेढके मामलोंके बारेमें उन्हें इतनी चिन्ता रही है कि उनके सम्बन्धमें उन्होंने मुझे तार तक भेजा है। उन्हें जैसा लगा वैसा उन्होंने कहा; उसके कारण हम उनपर दोषारोपण कैसे कर सकते हैं? डेलागोआ-वेमें उन्होंने जो कहा, उसके लिए भी हम उनकी आलोचना कैसे कर सकते हैं? जो सेवा करता है उसे [ आवश्यकता होने पर ] टीका करनेका भी अधिकार है, बशर्ते कि वह अपनी की हुई टीकाका दुरुपयोग न होने दे। अपनोंकी टीका करनेमें भला मेरी बराबरी कौन कर सकता है ? किन्तु इस कारण यदि कोई मेरे ऊपर दोषारोपण करने लगे तो मेरा क्या हाल हो ? मेरा दौरा चल रहा है। यह सारा वर्ष इसी तरह बीतेगा। हाँ, जनवरीमें राम- दासके विवाहके लिए मुझे आश्रम जाना होगा। ज्यादा लिखनेका समय नहीं है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ४७२३) की फोटो-नकलसे।

  1. १. अस्पष्ट है।
  2. २. देखिए पिछला शीर्षक ।