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तार : मदनमोहन मालवीयको

जबतक प्रोफेसरान और लड़के जामियाके प्रति सच्चे हैं, वह मिट नहीं सकता। मेरी ओरसे आपको यह वचन है कि ईश्वरने चाहा तो वह मुझे जो भी शक्ति देगा उसका उपयोग मैं इस संस्थाको सुदृढ़ आर्थिक आधारपर खड़ा करनेमें लगा दूँगा।

सप्रेम,

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ९-१-१९२८

३३७. तार : मदनमोहन मालवीयको[१]

[९ जनवरी, १९२८ या उसके पश्चात्]

तिब्बिया साधन-सम्पन्न है। जामिया विकासशील संस्था है अतः आपसे सहायताका अनुरोध करता हूँ। एकताके संदर्भ में मेरी रायमें आप और अन्सारीको दिल्ली तथा अन्य स्थानोंकी यात्रा करके संयुक्त सभाएँ करनी और प्रस्ताव पास करने चाहिए। इसी कामसे अन्य लोगोंको अन्यत्र भजा जा सकता है। आप बनारस से आरम्भ कर सकते हैं।

गांधी

भेजनेसे पहले मुझे साफ प्रति दिखाओ। यह तार जो गाड़ी अभी आनेवाली है उससे भेजा जाये। अगर ऐसा न हो पाये तो इसे साबरमती भेजना होगा। [२]

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४९०५) की फोटो-नकलसे।
  1. यह तार ९ जनवरीको प्राप्त पं॰ मदनमोहन मालवीयके इस तारके जवाब में भेजा गया था : "पत्रके लिए धन्यवाद। दिल्लीके लाला सुलतान सिंह कलकत्तामें मुझसे मिले। बताया कि जामिया मिलिया हिन्दुओंसे अपील नहीं करेगा। तिब्बिया कॉलेज इस रायसे सहमत होगा, लेकिन आप जो कुछ तय करेंगे मैं उसका समर्थन करूँगा। हिन्दू-मुस्लिम कार्यके सम्बन्धमें आप क्या कहते हैं? सहमत हूँ कि कार्यमें विलम्ब नहीं करना चाहिए।"
  2. स्पष्टतः ये गांधीजी द्वारा अपने सचिवको दिये गये निर्देश थे।
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