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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपके साथ सम्पर्क स्थापित करनेसे पहले मैंने उनके बारेमें कुछ नहीं कहा है। क्या आप इस बात को पसन्द करेंगे कि मैं एक प्रतिनिधि भेजूँ जो मुझे आरोपोंके बारेमें सचाईका पता चला कर बताये?

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

कनिकाके राजा
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३०३५) की माइक्रोफिल्मसे।

३३५. पत्र : डब्ल्यू॰ एच॰ पिटको

[८ जनवरी, १९२८][१]

प्रिय श्री पिट,

कुछ हफ्ते पहले आपको एक पत्र[२] मेजा गया था जिसमें पूछा गया था कि तिरुवरप्पु और सुचिन्द्रम्‌के मामले में कुछ प्रगति हो रही है या नहीं। पता नहीं वह आपको मिला या नहीं। मुझसे बराबर पूछताछ की जा रही है।

मो॰ क॰ गांधी

पुलिस कमिश्नर
त्रिवेन्द्रम्
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३०३५ ए॰) की माइक्रोफिल्मसे।

३३६. सन्देश : जामिया मिलिया इस्लामियाको[३]

[९ जनवरी, १९२८ से पूर्व]

प्रिय प्रोफेसरो तथा लड़को,

ठक्कर साहब मुझसे कहते हैं कि इस अवसरपर, जबकि हकीम साहबकी मृत्युका संकट हमारे ऊपर आ पड़ा है, मैं आपको आशाका एक सन्देश भेजूँ। मृतककी आत्मा सदा हमारे साथ रहे। हम जामियाको एकताका एक जीवन्त मन्दिर बनाकर उनकी स्मृतिको सदा ताजा रखें। आपको आशा नहीं छोड़नी चाहिए।

  1. यह पत्र पिछले शीर्षकके पृष्ठ भागपर लिखा हुआ है, जिसकी तिथि ८-१-१९२८ है।
  2. देखिए "पत्र : डब्ल्यू॰ एच॰ पिटको", १४-१०-१९२७।
  3. यह सन्देश जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्लीके, अध्यापकों और छात्रोंकी एक समामें पढ़कर सुनाया गया था जो हकीम अजमल खाँकी मृत्युपर शोक प्रकट करनेके लिए आयोजित हुई थी।