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भाषण : सार्वजनिक सभा, कनडुकातनमें

तब, और केवल तभी, मैं आपसे चाहूँगा कि आप अपने विशाल धनकोषसे थोड़ा नहीं, बल्कि काफी अंश निकाल कर मुझे दें।

और आखिरकार खादी है क्या ? खादी लाखों क्षुधाग्रस्त लोगोंका प्रतिनिधित्व करती है, और जिन लोगोंके पास धन या सत्ता है, वे अपने धन या शक्तिके मदमें इन लाखों उदार लोगोंको मूल न जायें। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप क्षुधा-पीड़ित लाखों लोगोंके इस जबरदस्त हितको अपना समर्थन दें और उसे अपना ही हित मान लें। अगर आपने ऐसा किया तो आप स्वतः ही अपने सभी उत्तमोत्तम विदेशी वस्त्रोंका त्याग कर देंगे और तब यदि आप चाहेंगे तो आपकी रुचिके अनुसार आपको बढ़ियासे-बढ़िया और बारीकसे-बारीक खादी मिल सकेगी।

जब मैंने देखा कि आपके घर विदेशी फर्नीचरसे ठसाठस भरे हुए हैं, सभी प्रकारकी खूबसूरत विदेशी साज-सज्जाकी वस्तुओंसे सजे हुए हैं, जब मैंने देखा कि आपके घरोंमें अनेक ऐसी चीजें हैं जिनका हमारी इस पावन भूमिमें कोई स्थान नहीं होना चाहिए, तो मैंने आरम्भमें ही आपसे कह दिया था कि मुझे [आपके बीच आकर] खुशी भी हुई है और दुःख भी। मैं आपसे कहता हूँ कि इतने अधिक फर्नी- चरके बीच मुझे घुटनका-सा अनुभव हुआ है। मुश्किलसे इस फर्नीचरके बीच बैठने या खुलकर साँस लेनेकी जगह है। आपके यहाँकी कुछ तस्वीरें तो बीभत्स हैं, और देखने लायक नहीं हैं। मुझे महाभारत कालके समृद्ध लोगोंके पापों और उनमें से कुछको सादगीके वर्णन याद आते हैं। हमें चाहिए कि हम अपने घनका जैसा दिखावा यहाँ करते प्रतीत होते हैं वैसा न करें। हमारे देशके समशीतोष्ण वातावरण और जलवायुमें इन चीजोंके प्रदर्शनकी वास्तवमें आवश्यकता नहीं है। इनसे शुद्ध वायुके मुक्त प्रवाहमें वाघा पड़ती है और इनमें धूल और ह्वामें तैरनेवाले करोड़ों कीटाणु रहते हैं। यदि आप मुझे चेट्टिनाडके इन तमाम स्थानोंकी सजावटका ठेका दे दें तो मैं दसगुना कम पैसोंमें सजावट कर दूंगा और आजकी अपेक्षा कहीं ज्यादा गुंजाइश और ज्यादा आराम प्रदान कर दूंगा, और साथ ही भारतके कलाकारोंसे यह प्रमाणपत्र भी हासिल कर लूंगा कि आपने जितना किया है उससे कहीं ज्यादा कलात्मक ढंगसे मैंने आपके घरोंको सजा दिया है।

मैं यह भी कहूँगा कि आपके ये जो सारे महल बने हैं इनके पीछे आपके बीच सहयोगकी तथा सामाजिक प्रभाव या समाज कल्याणकी कोई भावना नहीं रही है। यदि आप पारस्परिक कल्याणके लिए और अपने बीच रहनेवाली खेतिहर जनताके कल्याणके लिए चेट्टियोंका एक संघ बना लें तो आप वास्तवमें चेट्टिनाडको एक मनोहर माया- नगरी बना सकते हैं जो भारतके सभी लोगोंको आकृष्ट करेगी और तब वे आपके जीवनकी सादगीको देखकर सन्तुष्ट होंगे। यह तो मैंने आपके जीवनके बाह्य पक्षके बारेमें कहा ।

मैं आन्तरिक शुद्धताके पक्षमें भी कुछ निवेदन करना चाहता हूँ। मुझे सामान्य लोगों और अमीर मित्रोंका विश्वासभाजन होनेका सौभाग्य प्राप्त है और मुझे जानकारी है और मेरा यह अनुमान भी है कि आप धनवान चेट्टी लोग उन कमजोरियोंसे मुक्त नहीं हैं जो संसार भरके सभी धनवानोंमें आम हैं। लेकिन ऐसा होना जरूरी