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पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

ही हमारा छुटकारा होगा। किन्तु इस सम्बन्धमें मुझसे विस्तारपूर्वक सलाह-मशविरा कर लेना। इसके अतिरिक्त नवीन और धीरूके बारेमें भी मुझसे बातचीत कर लेना। यदि उनका खर्च माणेकलाल आदि दें तब तो हम उन्हें अवश्य रखेंगे।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ९१६७) की प्रतिसे।
सौजन्य : राधाबहन चौधरी

३२९. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
७ जनवरी, १९२८

प्रिय सतीश बाबू,

मैं आपके पत्रकी प्रतीक्षा करता रहा हूँ। यह स्पष्ट है कि आप अभी यात्रा करनेके योग्य नहीं हैं। इस ज्वरसे और कमजोरी बढ़ी होगी तथा स्वास्थ्य-लाभकी प्रगतिमें बाधा पड़ी होगी। मैं आशा करता हूँ कि ज्वर फिर नहीं आया है।

मुझे खुशी है कि जवाहरलाल और भरूचाने कुछ समय आपके साथ गुजारा।

आपने देखा होगा कि बहुमूल्य प्रदर्शनी और अन्य बहुत-सी चीजोंके बारेमें मैंने वह पहले ही कर दिया जो आपके मनमें था।

निखिल[१] कैसा है, और हेमप्रभादेवीको कैसा लगा?

मैं स्वस्थ प्रतीत होता हूँ।

सप्रेम,

बापू

अंग्रेजी (जी॰ एन॰ १५८०) की फोटो-नकलसे।
  1. सतीश बाबूका पुत्र जो उस समय गम्भीर रूपसे बीमार था और जिसकी जुलाई, १९२८ में मृत्यु हो गई थी।