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३२६. भारतकी कवयित्रीको निमन्त्रण

श्रीमती सरोजिनी देवीको अमेरिकासे एक निमन्त्रण[१] मिला जिसका मुख्य उद्देश्य यह है कि कुमारी मेयोने असत्य और मिथ्या आरोपोंसे युक्त पुस्तक लिखकर जो नुकसान पहुँचाया है उसको वह निष्प्रभावी कर दें। भारतमें कितना ही कुछ लिखा जाये लेकिन वह सम्भवतः उस सनसनी फैलानेवाली महिला द्वारा की गई क्षतिको पूरी तरह दूर नहीं कर सकता जिसकी बातें सुनने और माननेके लिए सनसनीखेज खबरोंकी भूखी और उन्हींपर जीवित रहनेवाली मूढ़ जनता तैयार बैठी है। कोई भी विचारशील अमेरिकी कुमारी मेयोके अश्लील लेखोंपर कदापि विश्वास नहीं कर सकता। विचारशील अमेरिकीको किसी खण्डनकी जरूरत नहीं है। और सामान्य जनता, जो 'मदर इंडिया' से पहले ही प्रभावित हो चुकी है, भारतमें किये गये किसी खण्डनोंको कभी नहीं पढ़ेगी, चाहे वे कितने ही प्रभावशाली ढंगसे क्यों न किये गये हों। इसलिए अमेरिकामें यह बात ठीक ही सोची गई कि मदर 'इंडिया' के जवाबमें सरोजिनी देवीको अमेरिका बुलाया जाये, जहाँ वे दौरा करके व्याख्यान दें। यदि सरोजिनी देवी निमन्त्रणको स्वीकार कर लें तो उनकी अमेरिका यात्रासे वह क्षति कुछ हदतक पूरी हो जायेगी जो कुमारी मेयोके उपन्यासने ढाई है। इसमें कोई सन्देह करनेकी जरूरत नहीं है कि वह जहाँ कहीं जायेंगी वहाँ बड़ी संख्या में लोग उनका भाषण धीरज और आदरके साथ सुनेंगे। उन्होंने जिस प्रकार अपनी वक्तृताके जादूसे दक्षिण आफ्रिकी जनताको मुग्ध कर लिया था[२] और गोलमेज सम्मेलनके लिए, तथा माननीय श्रीनिवास शास्त्री अब जो महान कार्य वहाँ कर रहे हैं, उसके लिए मार्ग तैयार किया था, उसी प्रकार यह निश्चित है कि वे अपने भाषणके उसी जादूसे अमेरिकी जनताको भी मुग्ध कर लेंगी। हमें आशा करनी चाहिए कि उनके लिए निमन्त्रणको स्वीकार करना सम्भव होगा और डा॰ अन्सारी उन्हें विदेशमें उस कार्यको करनेके लिए मुक्त कर सकेंगे जो इस समय भारतकी इस प्रतिभाशाली पुत्रीको बुलाता प्रतीत होता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ५-१-१९२८
  1. देखिए "तार : धनगोपाल मुखर्जीको", १४-११-१९२७।
  2. देखिए खण्ड २४।