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भेंट: 'इंडियन डेली मेल' के प्रतिनिधिसे

मित्रों और शिष्योंसे घिरे हुए और उनके बीच में बैठकर अपने चरखे को चलाते हुए श्री गांधीने हमारे प्रतिनिधिसे मृदुतासे प्रश्न पूछनेको कहा। भेंटकर्ताका पहला प्रश्न था, "कांग्रेसके मद्रास अधिवेशन के बारेमें आपका क्या खयाल है ?"

उत्तर : मद्रास अधिवेशन इस मानेमें अनोखा था कि उसमें हिन्दू-मुस्लिम एकता- की नींव पड़ गई प्रतीत होती है। ऐसा मैं प्रस्तावोंके गुणोंके कारण नहीं कह रहा हूँ, बल्कि जिस ढँगसे वे प्रस्तुत किये गये और स्वीकार किये गये उसके कारण कह रहा हूँ। पंडित मालवीयजीका अच्छा भाषण और उससे भी अच्छा अली भाइयोंका भाषण मुझे भविष्यके लिए शुभ लक्षण प्रतीत हुआ। मैं उस समय उपस्थित नहीं था जब मौलाना मुहम्मद अली आनन्दातिरेकमें मालवीयजीके पैरोंपर गिर पड़े, और उनके शानदार भाषणके समाप्त होनेपर मौलाना शौकत अलीने उनको पंखा झला; लेकिन इसका विवरण मुझे कांग्रेस अध्यक्षने सुनाया। इससे मेरा मन जबर्दस्त खुशी और आशासे भर गया । मैं आशा करता हूँ कि सौहार्द और पारस्परिक विश्वासकी यह भावना संक्रामक सिद्ध होगी और हम साधारण लोगों में भी ऐसा ही विश्वास देख सकेंगे। इस सुखद घटनाके लिए डा० अन्सारी और श्री एस० अय्यंगार दोनों ही राष्ट्रकी कृतज्ञताके अधिकारी हैं।

यह पूछे जानेपर कि जब स्वाधीनता प्रस्तावपर[१] विचार किया गया उस समय वह उपस्थित क्यों नहीं थे, श्री गांधीजीने कहा कि मेरे स्वास्थ्यके कारण मुझसे समितिकी किसी भी बैठकमें उपस्थित होनेकी अपेक्षा नहीं की जाती। मैं मद्रास अपने डाक्टरोंके निर्देशों और अपने मित्रोंकी इच्छाके विरुद्ध गया था, और ऐसा मैंने अपनी सामर्थ्य-भर श्री श्रीनिवास अय्यंगार और डा० अन्सारीकी सहायता करनेके खयालसे, और यदि मेरी जरूरत पड़े तो उनके लिए सुलभ होनेके खयाल से किया था। मुझसे कार्य समिति, विषय समिति या खुले अधिवेशन को कार्यवाहियों में भाग लेनकी अपेक्षा नहीं की जाती। मैंने एक अनौपचारिक बैठकको छोड़कर समितिकी किसी बैठकमें भाग नहीं लिया और कांग्रेस अधिवेशनके शुरू होनेपर केवल कुछ मिनटोंके लिए उसमें शामिल हुआ था ।

हमारे प्रतिनिधि ने पूछा : "लेकिन क्या यह सच है कि आप स्वाधीनता प्रस्तावके पक्षमें नहीं थे ? "

उत्तर : यह तो एक सर्वप्रकट रहस्य है । लेकिन मैं स्वाधीनता-प्रस्तावको जो ठीक नहीं मानता उसका आधार उन लोगोंसे भिन्न है जो सामान्य रूपसे स्वाधीनता- प्रस्तावकी निन्दा करते हैं। मैंने इस विषयपर पिछले वर्ष तब चर्चा की थी जब स्वाधीनता प्रस्ताव पास किया गया था, और उसके प्रति मेरा जो रुख है उसके कारण भी मैंने दिये हैं। लेकिन मैं किसी प्रकारकी गलतफहमीसे बचने के लिए यह कह दूं कि मैं एक क्षणके लिए भी ऐसा नहीं मानता कि भारत स्वाधीनताके योग्य नहीं है, अथवा वह उसके लिए तैयार नहीं है ।

  1. १. एक पृथक प्रस्तावमें कांग्रेसने घोषणा की कि “भारतीय लोगोंका लक्ष्य पूर्ण राष्ट्रीय स्वाधीनता है”।