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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करेगा। यदि इस सभामें उपस्थित लोगोंने उत्कलके उन भूख से जर्जर लोगों को देखा होता तो वे मुझसे इस बातपर फौरन सहमत हो जाते कि खावी ही एकमात्र वस्तु है जो उन्हें इस गिरी हुई दशासे उबार सकती है। खादीका आन्दोलन एक ऐसा आन्दोलन है जिसमें तमिल और तेलगु भाषी लोग, उत्तर और दक्षिण भारतके लोग जाति या विश्वासके भेदभावके बिना भाग ले सकते हैं। उत्कलकी यात्रा करने पर वे खादी आन्दोलनका अपने-आप समर्थन करने लगेंगे। औद्योगिक प्रदर्शनीकी बगलम खादी प्रदर्शनी हाथीके साथ चींटी-जैसी दिखाई पड़ती है। औद्योगिक प्रदर्शनी में विदेशी और देशी दोनों चीजें हैं। खावीप्रदर्शनी में आप केवल हाथका कता और हाथका बुना भारतीय माल हो पायेंगे। और यहाँ कोई प्रतियोगिता नहीं है; अगर है तो यही कि "मैं सेवा कैसे करूँ, मैं सबसे अच्छे ढंगसे सेवा कैसे करूँ।"खादी प्रदर्शनीमआप गरीब आदमियों और औरतों द्वारा तैयार किया गया माल देखेंगे, और इस मालको बनाने से बहुत-से गरीब लोगोंको भोजन प्राप्त हुआ होगा। मैनचेस्टरमें बना माल और भारतीय मिलोंमें बना माल तो अंग्रेज और भारतीय पूँजीपतियोंको समृद्ध करता है; जबकि खावी उस गरीबसे-गरीब मेहनतकशको भोजन मुहय्या करती है जिसके पास आजीविकाका कोई दूसरा साधन नहीं है। खादी आन्दोलनने २००० गाँवोंमें फैले ७५ हजार कर्तयोंको भोजन दिया है और ६००० बुनकर खादीके वस्त्र बुनकर अपनी रोजी चलाते हैं। मैंने इस आन्दोलनके सिलसिलेमें केवल कतैयों और बुनकरोंका ही उल्लेख किया है, और उनका जिक्र नहीं किया है जो छपाई, रंगाई आदि जैसे कामोंमें लगे हैं और जिन्हें आन्दोलनसे लाभ पहुँचा है। इन गरीब आदमियोंके अलावा मध्यवर्गके करीब एक हजार नौजवानोंने खादीका काम उठा लिया है। खादी बेरोजगार लोगोंको रोजगार भी देगी और मध्यवर्गके बीच बेरोजगारीकी उस समस्याको हल करेगी जिसने बहुत-से लोगोंको उद्विग्न कर रखा है। खादी भारतके लोगोंको ब्राह्मणों और अब्राह्मणोंको, हिन्दुओं तथा मुसलमानोंको और तथा-कथित अस्पृश्योंको रोजगार देगी। शीघ्र ही आप लोग विभिन्न दुकानोंमें जाकर प्रदशित वस्तुओंको अपनी आँखोंसे देखेंगे। जब आप अन्दर जायें उस समय में कहूँगा कि आप गरीबोंके प्रति सहानुभूतिकी भावना लेकर जायें और विचार करें कि गरीब लोगोंने अपने को जीवित रखनेके लिए कुछ अजित करनेके वास्ते उन वस्तुओं के उत्पादनपर कितनी शक्ति और कितना समय लगाया होगा। आप लोग यह भी देखेंगे कि खद्दरकी वस्तुओंका मूल्य भी काफी घट गया है।

खादी प्रदर्शनी को बगल में आप हिन्दी प्रदर्शनी देखेंगे। हिन्दीआन्दोलन की कल्पना करोड़ों भारतीयोंके हितको ध्यान में रखकर कीगई है। हिन्दी या हिन्दुस्तानी को २१ करोड़ लोग बोलते हैं, और यह बहुत से मुसलमानों की मातृभाषा है। यही एक भाषा है जो अन्तर्प्रान्तीय भाषा बन सकती है। पिछले कुछ समय से दक्षिण भारतमें हिन्दी का प्रचार करनेका प्रयत्न किया जा रहा है। हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की गई