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३०३. पत्र : के० केलप्पन नायरको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२३ दिसम्बर, १९२७

प्रिय केलप्पन,

युगों हो गये, मैंने तुम्हारा कोई पत्र नहीं पाया है। एक पत्र[१] साथ भेज रहा । कृपया इसे पढ़कर मुझे बताओ कि क्या तुम्हें इस बस्तीके बारेमें कुछ पता है, और अगर न जानते हो तो वहाँ जाओ और फिर मुझे सूचना दो ।

जिस समितिका मैंने प्रस्ताव किया था उसके बारेमें तुमने क्या किया और तुम्हारे पास जो धन छोड़ा गया था उसका तुमने क्या किया है ?

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत के० केलप्पन नायर

प्योली

उत्तर मलाबार
अंग्रेजी (एस० एन० १४६२४) की माइक्रोफिल्मसे ।

३०४. भाषण : मद्रासकी खादी और हिन्दी प्रदर्शनीमें

२३ दिसम्बर, १९२७

प्रदर्शनीका उद्घाटन करने से पूर्व महात्माजी ने अंग्रेजी में एक भाषण किया जिसका तमिल में अनुवाद श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारीने किया। महात्माजीने कहा कि प्रदर्शनियोंका उद्घाटन करनेके लिए बुलाया जाना बहुत बड़े सम्मानकी बात है। मेरी शारीरिक अवस्था ऐसी नहीं है कि इतने जोरसे बोल सकूँ कि सब लोग सुन सकें। मैं कोई लम्बा भाषण नहीं दूंगा, और अपनी वर्तमान शारीरिक अवस्थामें में इतनी बड़ी सभामें भाषण करने योग्य हूँ भी नहीं। मुझे खद्दरकी आवश्यकता पर बहुत कुछ कहनेकी जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अभी-अभी उत्कलसे लौटा हूँ जहाँ मैंने भूखके कारण दुर्बल और जर्जर स्त्री-पुरुषोंको अपनी आँखोंसे देखा है। खद्दर ऐसे लोगोंका बहुत कल्याण

  1. १. यह पत्र पुलाथा कालोनी, चलाकुडीके मैनेजर वी० के० शंकर मेननने भेजा था। इस बस्तीका संचालन दलितवर्ग विकास समिति द्वारा किया जाता था और शंकर मेननने अपने पत्र में गांधीजीसे सुझाव और परामर्श देनेके लिए कहा था।