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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होते हैं, सिर्फ वे ही दूसरोंसे डरते हैं। और इसे तो कबूल करना ही होगा कि अंग्रेजोंके आनेके बहुत दिन पहलेसे हम अपने जमींदारों और राजाओंसे डरनेके आदी थे । वर्त- मान शासकोंने तो सिर्फ उसीको एक विधिवत शास्त्र-सा बना लिया है, जो पहले भी न्यूनाधिक स्थूल रूपमें मौजूद था ही । इसलिए उड़ीसाके कार्यकर्त्ताओंको लोगोंको सिखलाना है कि इस भीरुताको, जो करीब-करीब कायरता ही है, छोड़ दो। और यह जमींदारों, राजाओं या पुलिसवालोंको गालियाँ देनेसे नहीं होगा। ये लोग तो जब देखते हैं कि किसानोंने अपनी नामर्दीकी आदतें भुला दी हैं, तब वे खुद दबने लगते हैं या कभी-कभी दोस्त भी बन जाते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २२-१२-१९२७

२९३. कोई चीज तुच्छ नहीं है

एक मित्रने मुझे चरखेके विषयमें एक समालाप भेजा है। मुझे इस कहानीमें कोई कथा-वस्तु नहीं मिली, इसलिए मैं उसे नहीं छाप रहा हूँ, लेकिन मैं निम्नलिखित शिक्षाप्रद छन्द खुशीके साथ छाप रहा हूँ,[१] जिन्हें लेखकने उद्धृत किया है और एक छोटी लड़कीके द्वारा कहलाया है जो अपने छोटे भाईसे कह रही है कि हालाँकि वे छोटे हैं लेकिन उन्हें गरीबोंकी खातिर चरखा चलाना चाहिए :

ये सुन्दर छन्द बड़े लोगोंपर भी समान रूपसे लागू होते हैं जो इस काल्पनिक कहानीके छोटे बच्चोंसे बेहतर बातें नहीं करते। हम यज्ञके रूपमें चरखा न कातने का यह निराधार बहाना नहीं बना सकते कि यह तो बहुत मामूली चीज है जिसका कोई उपयोग नहीं हो सकता । हमारा काम इस तरहकी बातें करके आलस्य करना नहीं है; हमारा काम तो अपनी भरसक जो हो सके करना है और ईश्वर उसका जो उपयोग करना चाहे, वैसा उपयोग उसके ऊपर छोड़ देना है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २२-१२-१९२७
 
  1. १. इनका अनुवाद यहाँ नहीं दिया गया है।