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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
गतिविधियोंके लिए इस प्रकार धन एकत्र करता हूँ और उसपर मेरा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियन्त्रण रहता है ।
हृदयसे आपका,
श्रीयुत देवीचन्द
अध्यक्ष, दयानन्द दलित उद्धार मण्डल
- अंग्रेजी (एस० एन० १२६५५) की माइक्रोफिल्मसे ।
२८९. पत्र : मणीन्द्रचन्द्र रायको
स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२१ दिसम्बर, १९२७
प्रिय मित्र,
मैं आपके पत्रका उत्तर इससे पहले देने में असमर्थ रहा हूँ। मैं यह सोचे बगैर नहीं रह सकता कि आपकी धारणा आपके इस तर्कसे प्रभावित है कि आत्मविकासके लिए मनुष्य-जातिको कोई प्रयत्न नहीं करना चाहिए। आप कहेंगे कि सजा पाये हुए निर्दोष कैदीको अपनी रिहाईके लिए प्रयत्न नहीं करना चाहिए। मैं एक कैदीमें और उस असहाय निर्दोष लड़की में कोई भेद नहीं देखता जिसे एक ऐसे आदमीके हवाले कर दिया जाये जिसे वह बिलकुल नहीं जानती। आपके तर्क पहले तर्कके अनुरूप ही प्रतीत होते हैं ।
हृदयसे आपका,
श्रीयुत मणीन्द्रचन्द्र राय
हेड मास्टर
बरहामपुर नेशनल स्कूल
- अंग्रेजी (एस० एन० १२६५६) की माइक्रोफिल्मसे ।