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भाषण : कटकके खादी कार्यकर्त्ताओंके समक्ष

चाहता। मैं तो यही चाहता हूँ कि आप इस आन्दोलनकी मूल भावनाको समझें और अपना जीवन उसीके अनुरूप बनायें ।

आप लोगोंमें से जो उड़ीसाकी सेवा करना चाहते हैं, उनसे मैं यह कहूँगा कि आप उड़ीसाको सारे भारतवर्षका खादी-भण्डार बना दीजिए। जबतक आप प्रति- द्वन्द्विताकी भावनाको बिलकुल समाप्त नहीं कर देते और आप सब मिलकर केवल खादी तैयार करनेमें नहीं लग जाते, तबतक यह नहीं हो सकता । खादी-खादीमें प्रतिद्वन्द्विता कैसी ? मैं यह बात समझ सकता हूँ कि दूसरे प्रान्तोंसे खादी मँगानेका आप विरोध करें, मगर उड़ीसाके ही भिन्न-भिन्न हिस्सोंमें तैयार की जानेवाली खादीमें तो आपको कोई फर्क नहीं करना चाहिए। आप सब मिलकर काम करने और खादीकी बिक्रीको समन्वित करनेमें लग जाइए ।

एक दिन मैंने कुछ नवयुवकोंको खेतीके विकासकी बातें करते सुना था । अगर कोई मेरे सामने सिद्ध कर दे कि खेतीका सुधार करनेसे सभी गरीबोंकी गरीबी दूर हो जायेगी और यह योजना व्यावहारिक है, और देशके करोड़ों लोगोंका अभाव दूर करनेके लिए इसका उपयोग किया जा सकता है, तो मैं चरखेके बारेमें अपना मत बदल दूंगा। मगर मैं आपको सावधान करता हूँ कि आजकी परिस्थितिमें आपको इसमें सफलता नहीं मिल सकती। मैं एक आदर्श कृषि फार्म बनानेकी कोशिश कर रहा था। मेरे कुछ ऐसे नासमझ मित्र भी हैं जो प्रयोग करनेके लिए मुझे रुपये दिया करते हैं। और मैं उन प्रयोगोंपर पानीकी तरह रुपया बहा देता हूँ। मैंने स्वर्गीय सर गंगारामसे भी बातें करके उनके सामने अपने फार्मोके बारेमें पूरी जानकारी रखी, मगर वे सभी हमारी खेतीको सुधारनेकी कोई व्यावहारिक तैयार योजना नहीं बतला सके। आप गाँवोंमें जाइए और वहीं अपनी धूनी रमा दीजिए, मगर गाँववालोंके मालिक मत बनिए, उनके विनम्र सेवक बनिए। आप अपना नित्य-प्रतिका जीवन ऐसा बनाइए कि उसीको देखकर वे समझ लें कि उनको क्या करना है और वे अपने जीवनका तौर-तरीका कैसे बदल सकते हैं। केवल भावनासे ही कुछ न होगा, उसी प्रकार जिस प्रकार कि भाप जबतक नियंत्रण में नहीं लाई जाती, तबतक वह कोई काम नहीं कर पाती; नियन्त्रित होकर ही वह एक बड़ी शक्ति बन पाती है। मैं चाहता हूँ कि आप गाँवोंमें ईश्वरका सन्देश लेकर जायें, भारतकी जख्मी आत्माके लिए मरहम लेकर जायें ।

आप इसकी जरा भी फिक्र न करें कि आपकी बनाई खादीका क्या होगा । अगर जरूरत पड़े तो उसकी बिक्रीका भार मैं ले लूंगा। आप तो जितना भी उत्पादन कर सकें, करते जायें। खद्दर बनाने के लिए उड़ीसासे बढ़कर अन्य कोई क्षेत्र नहीं हो सकता । खद्दरके धंधेको तो केवल एक उड़ीसा ही उपयोगी धन्धा साबित कर सकता है। मुझे तो इसकी व्यावहारिकताका विश्वास १९०८ में ही हो गया था, मगर आपको उसे कार्य रूपमें साबित कर दिखलाना चाहिए । दुनियाको दिखला दीजिए कि हम खादीके बिना नहीं जी सकते। आप मुझे देखकर अपना विश्वास