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२८३. पत्र : हेलेन हॉसडिंगको

कटक
(उड़ीसा)
२० दिसम्बर, १९२७

मुझे आपके सब पत्र मिले हैं जिनका इधर बराबर यात्रा करते रहनेके कारण उत्तर नहीं दे सका। और न मेरे पास आपको इसके सिवा कोई उपयोगी बात बतानेका समय है कि मैं किसी-न-किसी प्रकार चल रहा हूँ हालाँकि डाक्टर लोग मुझसे कहते हैं कि मेरा रक्तचाप बढ़ रहा है। मैं अगले वर्षके आरम्भमें आश्रम पहुँचनेकी आशा करता हूँ। मैं आपसे किसी भी दिन यह सुननेकी अपेक्षा करता हूँ कि भारतसे आप जो शरीरकी दुर्बलताएँ ले गई हैं उन्हें आपने डैन्यूबमें फेंक दिया है और आपकी चहचहाहट वैसी ही जोरदार है जैसी कि वह इस दुखसे भरे प्रदेशमें आनेसे पहले थी ।

कुमारी हेलेन हॉसडिंग

हरशिंग ए० एमरशी

बी मिनचेन (जर्मनी)
अंग्रेजी (एस० एन० १२५५६) की फोटो-नकलसे ।

२८४. भाषण : कटकके खादी कार्यकर्त्ताओंके समक्ष

[१]

२० दिसम्बर, १९२७

इस संस्थाके संचालक उतने ही सचेत और अपनी संस्थाके हित-चिन्तक होने चाहिए, जैसे कि बैंक आफ इंग्लैंडके हैं। यह बैंक दुनियाका सबसे बड़ा सहकारी संघ है। बल्कि हमारे संचालकोंको उस बैंकके संचालकोंसे भी अधिक निःस्वार्थ होना चाहिए, क्योंकि खादी संघ तो स्वार्थके लिए नहीं बल्कि गरीबोंकी सेवाके लिए ही खोला जायेगा। उनकी योग्यता इसीमें होगी कि वे मामूलीसे-मामूली बातपर भी खूब ध्यान दें, चरखा शास्त्र में निष्णात बनें। जबतक ये चरखा-शास्त्र के अच्छे जाननेवाले और योग्य संगठनकर्ता नहीं बनते, वे कुछ भी नहीं कर सकेंगे ।

आपके कुछ सवालोंसे पता चलता है कि आप कितने अव्यावहारिक हैं। आप पूछते हैं कि क्या मैं आपके लिए लंगोटी पहिनना और एक खास तरहका आहार करना भी जरूरी कर दूंगा। नहीं भाई, आपके कपड़े और भोजनका ढंग निश्चित नहीं करना

  1. १. ये भाषण, १८, १९ और २० दिसम्बर, १९२७ को दिये गये थे। यहाँ उनको अन्तिम भाषणको तिथिके अन्तर्गत प्रकाशित किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में देखिए "भाषण: राजापालपम्के खादी वस्त्रालपमें ", ४-१०-१९२७ भी ।