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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अब तो पुरुषोत्तम बिलकुल स्वस्थ हो गया होगा ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी० डब्ल्यू० ७७१३) से ।
सौजन्य : राधाबहन चौधरी

२८०. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

अंग्रेजी (जी० एन० २६२६) की फोटो-नकलसे ।

कटक
२० दिसम्बर, १९२७

प्रिय चार्ली,

ये कागजात तुम्हारे पढ़ने और विचार करके मुझे यह बतानेके लिए हैं कि क्या सुझावमें कुछ तत्त्व है।

हालाँकि डाक्टरोंका कहना है कि रक्तचाप ज्यादा है, लेकिन मुझे उसके किसी प्रभावका पता नहीं चलता। और तीन डाक्टरों तथा तीन यन्त्रोंने कल विभिन्न अंक सूचित किये. २००, १८०, १६० । जब डाक्टरोंमें ही मतभेद हो तो कोई क्या करे ? कुछ भी हो, तुम्हें चिंता नहीं करनी चाहिए ।

सप्रेम,

मोहन

अंग्रेजी (जी० एन० २६२६) की फोटो-नकलसे ।

२८१. पत्र : एम० फ्रांसिस एच० ल्यूक को

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२० दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र[१] मिला। मैं इससे बेहतर कोई तरीका नहीं सोच पाता कि आप किसी अस्पतालसे सम्बद्ध हो जाइए जहाँ आप आसानी से उन लोगोंके सम्पर्क में आ सकेंगी जो आपके ध्यानमें हैं।

मुझे आपका आश्रममें आना याद है। मैं इस समय यात्रा कर रहा हूँ और जैसी फोटो आप चाहती हैं वैसी कोई फोटो मेरे पास नहीं है। आपको शायद पता

  1. १. २६-९-१९२७ का; पत्रलेखिका एक शिक्षित अंग्रेज महिला थीं। उन्होंने दीन-दुखी और अस्पृश्य लोगोंकी सेवा करनेकी इच्छा प्रकट की थी।