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२७५. पत्र: एस० हैंडी परिबनायगमको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
१९ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । खादीके प्रति आपके उत्साहसे मुझे खुशी है। इस उत्साहको बनाये रखनेका एक मात्र तरीका यही है कि खादीके कार्यको पूरी व्यावसायिक कार्य- कुशलताके साथ किया जाये और इसके लिए आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो सभी प्रक्रियाओंका विशेषज्ञ हो । कोलम्बोमें आपके यहाँ श्रीयुत जयरामदास जयवर्द्धन हैं। यदि आप और कार्यकर्ताओंको प्रशिक्षित करना चाहते हैं तो शायद श्रीयुत च० राजगोपालाचारी एक या दो लोगोंको तिरुचेङ्गोडके अपने आश्रममें ले सकेंगे। मैं जानता हूँ कि आप इस उत्साहको किसी प्रकार समाप्त नहीं होने देंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० हैंडी परिवनायगम

जफना कालेज
बडुक्कोडाई

लंका
अंग्रेजी (एस० एन० १२६२२) की माइक्रोफिल्मसे ।

२७६. पत्र : के० एस० कारंतको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
१९ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । निश्चय ही यदि आप अपनी पुस्तक प्रकाशित करना चाहते हैं तो कोई हर्ज नहीं है। शायद मेरा अपना अनुभव यह है कि जबतक और ज्यादा तथा और सही अनुभव न हो जाये तबतक ऐसी किताबें न छापना ही बेहतर है।

आपने जो विभिन्न प्रकारके आसनोंका उल्लेख किया है, वह मुझे कई पुस्तकोंमें से लिया गया मालूम होता है। मैं इस प्रकारकी पुस्तकोंके लेखकोंके साथ पत्र-व्यवहार करता रहा हूँ और मैंने देखा है कि उन्होंने जो-कुछ लिखा है वह न तो अपने अनुभवसे पूरी तरह सही उतर सकता है और न ही दूसरोंके अनुभवोंसे, कि जिसपर भरोसा किया जा सके। लेकिन आपने जो-कुछ लिखा है उसमें आपको विश्वास है