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पत्र : रेहाना तैयबजीको

हर्ट्ज नहीं देखता। यदि आप आश्रम जाना चाहते हैं तो आपको मन्त्रीको लिखना चाहिए ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीयुत गोपराजू सत्यनारायण मूर्ति

वराहगिरि हाउस

बरहामपुर
अंग्रेजी (जी० एन० ६०९०) की फोटो-नकलसे ।

२७४. पत्र : रेहाना तैयबजीको

कटक
[१] १९ दिसम्बर, १९२७

प्रिय रेहाना,

तुम्हारा पत्र मिला । आज मुझे बोलकर लिखाना पड़ेगा। यह पत्र एक हिच- कोले खाती हुई ट्रेनमें बोला जा रहा है जो हमें कटक ले जा रही है।

मैं जानता हूँ कि तुम हिन्दुओंके पूर्वग्रहोंका बुरा माने बिना काम करती रह सकती हो । बेचारे नौकरोंको समझ ही नहीं है। मैं समझता हूँ कि मुसलमान बहनोंमें तुमने जैसी कटुता पाई उसका उसी प्रकारकी हिन्दू बहनोंमें कोई अभाव नहीं है । इन बहनों द्वारा अपनी सहायता आप करनेके असफल प्रयत्नोंका जो विवरण तुमने लिखा है वह बहुत अच्छा है, बहुत मजेदार है और दुखद है। सम्पन्नता हममें से बहुतोंको किस तरह बिगाड़ देती है ।

मैं आशा करता हूँ कि तुमने बेचारे छिले हुए आलूपर जो ज्यादती की उसका उसपर कोई खराब असर नहीं हुआ । मुझे खुशी है कि तुमने “निराशाकी मनः- स्थिति" से छुटकारा पा लिया है। तुम जानती हो कि 'गीता' के एक पाठकके नाते तुम्हें निराश होना ही नहीं चाहिए ।

सप्रेम,

बापू

कुमारी रेहाना तैयबजी

मार्फत लाला रघुबीर सिंह

कश्मीरी गेट, दिल्ली
अंग्रेजी (एस० एन० ९६०६) की फोटो-नकलसे ।
  1. १. यह पत्र जिसे गांधीजीने कटक ले जानेवाली ट्रेनमें बोलकर लिखाथा था, सम्भवतः इसी तारीख को टाइप और हस्ताक्षरित किया गया था।