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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उपवास-कालमें यदि स्खलन हो जाये तो उससे डरना नहीं चाहिए। वैद्योंका कहना है कि मनमें विषय विकार न होते हुए मलके दबावसे भी स्खलन हो जाता है । किन्तु ऐसा माननेके बदले यह मानना अधिक लाभदायक होगा कि मानसिक विकारोंके कारण ही स्खलन होता है। हमें मानसिक विकारोंका सदा पता नहीं चल पाता। पिछले पन्द्रह दिनोंमें मुझे नींदमें दो बार स्खलन हो चुका है। मुझे वे स्वप्न याद भी नहीं हैं। हस्तमैथुनकी बुराई तो मुझमें कभी थी ही नहीं। इस स्खलनका कारण मेरे शरीरका निर्बल होना तो है ही; किन्तु मैं जानता हूँ कि मेरे मनके भीतर कहीं विकार भरे हुए हैं। जाग्रत अवस्थामें तो उन विकारोंको मैं अपने वशमें रख सकता हूँ किन्तु जो वस्तु विषकी तरह शरीरमें भरी हुई है वह बलपूर्वक अपना मार्ग बना लेती है। मुझे इसका दुःख तो है किन्तु कोई घबराहट नहीं है। मैं सतर्क रहता हूँ । शत्रुको दवा भी देता हूँ किन्तु उसे देशनिकाला नहीं दे पाया हूँ । यदि मैं सच्चा हूँ तो उसे अवश्य निष्कासित कर सकूँगा । सत्यके तेजको वह सह नहीं सकेगा। यदि तुम्हारे बारेमें भी यही बात हो तो मेरे अनुभवसे लाभ उठाना । मानसिक विकार स्वभावमें तो अपनी पत्नीके प्रति हो चाहे परस्त्रीके प्रति, एक ही है। वह परिणाममें अलग-अलग है। हम फिलहाल इस शत्रुके बारेमें विकार रूपमें विचार कर रहे थे। इसलिए यह जान लो कि अपनी पत्नीके प्रति मेरे जैसा विषयी शायद ही होगा। इसीलिए मैंने अपनी दयनीय स्थिति तुम्हारे सामने रखकर तुम्हें हिम्मत बँधाई है। बा आज मेरे लिए माँके समान है। लगातार प्रयत्न करने और भगवानकी दयासे ही यह सम्भव हो सका है। किन्तु उस अपवित्र जीवनके उत्तराधिकारमें बचे अवशेष मुझे पीड़ित करते रहते हैं और मैं उन्हें पीड़ित करता रहता हूँ। और यदि ईश्वरकी कृपा हुई तो मैं इस जीवनमें ही उनपर विजय पा लूँगा ।

[ गुजरातीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२६२. पत्र : आश्रमकी बहनोंको

बोलगढ़
मौनवार, १२ दिसम्बर, १९२७

बहनो,

आज मुझे एकान्त तो बहुत है, लेकिन वह बीमारके कमरेका एकान्त है। यहाँकी हालत देखकर दिल जलता है और यहीं रह जानेकी इच्छा होती है। तुममें से कोई भी बहन तैयार हो तो उसे यहाँ आनेके लिए जरूर ललचाऊँ । यहाँ सब स्त्रियाँ परदा रखती हैं। लोगोंके पास न पूरा कपड़ा है, न खाना । उड़ीसामें प्रवेश करनेसे पहले जब मीराबहनने जितने कपड़े थे उनसे भी कम करनेकी माँग की, तब मैं कुछ घबराया था। यहाँ आकर देखा कि उसका कहना ठीक ही था । यहाँकी स्त्रियाँ सिर्फ