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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हृदयके प्रशिक्षणके सिवा बहुत प्रशिक्षणकी आवश्यकता नहीं है। खादी-कार्य करते हुए आप देखेंगे कि आपके अन्दर शक्ति आती जा रही है।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ९-१२-१९२७

२४०. खादीपर निबन्ध

पाठक जानते ही होंगे कि श्री रेवाशंकर जगजीवन [ झवेरी ] के घोषित पुरस्कारके आधारपर अंग्रेजीमें खादीपर निबन्ध लिखनेकी योजना भी की गई थी। इस तरह अध्यापक पुणताम्बेकर और श्री वरदाचारीने मिलकर जो निबन्ध लिखा था उसे पुरस्कार मिला था। यह निबन्ध पढ़ने लायक है इसलिए जमनादास भगवानदास स्मारकमालाके लिए उसका अनुवाद किया गया है। सत्याग्रहाश्रमके छगनलाल जोशीने इसका अनुवाद किया है। अब वह प्रकाशित हो गया है। उसकी कीमत एक रुपया रखी गई है। अनुवादके २१५ पृष्ठ बने हैं। सब मिलाकर २६० पृष्ठ हैं। बाकीके पृष्ठोंमें परिशिष्ट हैं। सभी परिशिष्ट उपयोगी हैं। अन्तिम पृष्ठपर गुजरातकी खादीका संक्षिप्त इतिहास दिया हुआ है, अर्थात् पहले गुजरातमें कहीं-कहाँ खादी तैयार होती थी और वह अमूल्य उद्योग कैसे नष्ट हो गया, यह बताया गया है। अनुवाद सरल भाषामें है। इसलिए गुजराती पाठकको समझनेमें दिक्कत नहीं होगी। चरखा-प्रवृत्तिका रहस्य अच्छी तरहसे समझनेके इच्छुक व्यक्तिको चाहिए कि वह इस पुस्तकको पढ़ जाये ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ४-१२-१९२७

२४१. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, बरहामपुरमें

[१]

४ दिसम्बर, १९२७

बहनो,

आपने खादी कार्यके लिए दो थैलियाँ भेंटकी हैं। मैं आपकी मेंट कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करता हूँ। आप ऐसा न सोचें कि मैं आपमें से कुछ को उड़िया और कुछको तेलगु समझता हूँ। आपको लगना चाहिए कि आप सभी लोग भारतीय हैं। कुछ लोग कहते हैं कि हम आन्ध्र देशके हैं और कुछ कहते हैं कि हम उड़ीसाके हैं। आप सब लोग अपनेको भारतवासी मानिये । आप सब लोग परस्पर एक-दूसरेके दुख और सुखमें हिस्सा बेटायें; तभी आप सीता-जैसी बननेके योग्य होंगी। सीता अपने- आपको अयोध्याका नागरिक नहीं समझती थीं। वह हमेशा अपनेको सम्पूर्ण भारतका

  1. १. उडोसा।