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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है कि आप अपना दिन पूजा-प्रार्थनासे शुरू करती हैं, जो बहुत अच्छी और मनुष्यको ऊपर उठाने वाली चीज है। लेकिन यदि आप अपने दैनिक जीवनमें उस पूजाकी भावनाके अनुरूप आचरण नहीं करतीं तो वह पूजा सहज ही केवल एक रीति-निर्वाह बनकर रह जा सकती है। इसलिए मेरा कहना है कि उस पूजाकी भावनाके अनुरूप आचरण करनेके लिए आप चरखेको अपनाएँ; प्रतिदिन आधे घंटेतक उसपर बैठें और अभी मैंने जिन करोड़ों क्षुधात मानवोंकी दशाका वर्णन किया है, उनके बारेमें सोचते हुए ईश्वरके नामपर अपने मनमें यह कहती रहें कि 'मैं उन्हींकी खातिर कात रही हूँ ।' यदि आप यह सब अपने हृदयसे करेंगी तो यह जानते हुए कि प्रदर्शनके लिए नहीं, बल्कि तन ढँकनेके लिए कपड़ा पहननेका मतलब उस पूजाके लिए और अधिक विनम्र और पवित्र होना होगा, आपको निश्चय ही खादी पहनकर अपने तथा उन करोड़ों लोगोंके बीच वैसा अटूट सम्बन्ध स्थापित करनेमें कोई हिचक नहीं होगी । इस संस्थाकी लड़कियोंसे मुझे इतना ही नहीं कहना है ।

सर रामनाथनने आपके लिए जितना कुछ किया है और लेडी रामनाथन तथा उनकी देख-रेखमें काम करनेवाले कर्मचारी जितना कुछ कर रहे हैं, यदि आप उसके योग्य बनना चाहती हैं तो आपको और भी बहुत-सी बातें करनी होंगी। आपकी पत्रिकाओंमें किसी हदतक क्षम्य गौरवके साथ इस बातका उल्लेख किया गया है कि इस स्कूलकी कुछ भूतपूर्व छात्राएँ अभी क्या कर रही हैं। मैंने कुछ इस ढंगके उल्लेख देखे कि अमुक-अमुकने शादी कर ली, आदि-आदि। ऐसे ४-५ उल्लेख थे। मैं जानता हूँ कि जो लड़की वयस्क हो चुकी हो, मतलब कि २५ या २२ वर्षकी भी हो चुकी हो, उसके शादी करनेमें कुछ बुरा नहीं है। लेकिन, इनमें मुझे ऐसा कोई उल्लेख कहीं नहीं देखनेको मिला कि अमुक लड़कीने अपने-आपको सिर्फ सेवाके लिए अर्पित कर दिया है। इसलिए मैं आपसे भी वही बात कहना चाहता हूँ जो मैंने बंगलोरकी लड़कियोंके बारेमें महाविभव महाराजा साहबके कालेजकी छात्राओंसे कही थी। मैंने कहा था कि यदि आप सब सिर्फ गुड़िया बनकर रह जायें और इन शिक्षण संस्थाओंसे निकलते ही सार्वजनिक जीवनसे अलग हो जायें तब तो माना जायेगा कि आपको संवारनेके लिए शिक्षाशास्त्री लोग जो इतना सारा प्रयत्न कर रहे हैं और उदार लोग जो इतना सारा धन खर्च कर रहे हैं उसके बदले लाभ बहुत कम रहा है । अधिकांश लड़कियाँ स्कूलों और कालेजोंसे फुरसत पाते ही सार्वजनिक जीवनसे अलग हो जाती हैं। आप इस संस्थाकी छात्राओंको ऐसा-कुछ नहीं करना चाहिए। आपको कुमारी एमरी और इस संस्थाकी देख-भाल करनेवाली उन अन्य अनेक महिलाओंका अनुकरण करना चाहिए जो यदि मैं गलत न कह रहा होऊँ तो, अविवाहिता ही हैं। हर लड़की, हर भारतीय लड़की, शादी करनेको ही जन्म नहीं लेती। मैं ऐसी अनेक लड़कियोंके उदाहरण दे सकता हूँ जो सिर्फ एक व्यक्तिकी सेवा करने के बजाय अपना सब-कुछ लगाकर समाजकी सेवा कर रही हैं। वह घड़ी आ पहुँची है जब हिन्दू लड़कियोंको सीता और पार्वतीके समान या उनसे भी श्रेष्ठ बनकर दिखाना है। आप अपनेको दशैव कहती हैं। आप जानती हैं कि पार्वतीने क्या किया था।