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२१९. भाषण : भारतीयोंकी सभा, जफनामें

२७ नवम्बर, १९२७

मैं जबसे लंका आया हूँ तबसे मेरी यह प्रतीति बढ़ती ही जा रही है कि यह लंका नहीं, बल्कि भारतका ही एक सुन्दरतर प्रतिरूप है, जहाँ मैं रह रहा हूँ। यहाँके प्राकृतिक दृश्योंको देखते हुए ऐसा लगता है कि निश्चय ही यह भारतका एक सौन्दर्यमण्डित रूप है । यद्यपि मैं जानता था कि लंकामें मुझे बहुत अच्छे प्राकृतिक दृश्य देखनेको मिलेंगे, फिर भी सचमुच मैंने जैसे दृश्य यहाँ देखे, वे मेरी समस्त अपेक्षाओंसे परे थे और इसलिए हालकी एक सभामें मैं यह कहे बिना नहीं रह सका कि लंका तो मुझे भारतमाताकी नाकसे खुलकर गिरी नथकी तरह लगता है। यदि लंकाकी जनता सचमुच भारतीय संस्कृतिकी उत्तराधिकारी है - जैसा कि उसे होना भी चाहिए -- तो उसे भी भारतमाताके विभासित रूपको अपने जीवन में प्रतिबिम्बित करना चाहिए ।

क्या गौतम बुद्ध भी आखिरकार एक महानतम हिन्दू सुधारक ही नहीं थे ? और मुझे तो ऐसा कोई कारण नहीं दिखाई देता कि लंकाके लोग, जिन्हें उस महात्माकी शिक्षा विरासतमें मिली है और जिन्होंने उस शिक्षाको अपनाया है, भारतके लोगोंसे भी आगे बढ़ जायें। अफसोस कि आज वह स्रोत, जिससे लंकाने पुरातन कालमें शक्ति प्राप्त की थी, लगभग सूख गया है। ऐसा लगता है कि अभी तो हम भारतवासी स्वयं बुरे दिनोंमें फँस गये हैं। आज तो हम खुद ही अपने अस्तित्वकी रक्षा करनेके लिए संघर्षरत हैं। हमारा जीवन इतना दूभर हो गया है कि अंग्रेज इतिहासकारोंके अनुसार भारतकी आबादीका कमसे-कम दसवाँ हिस्सा बराबर भुखमरीकी स्थितिमें रह रहा है।

इस बढ़ती हुई कष्टकर गरीबीके दंशको दूर करनेके लिए मैं लगातार जगह- जगह घूमता फिर रहा हूँ; धनी-मानी लोगोंके मनमें उन गरीबोंके प्रति सहानुभूति जगानेके लिए भटक रहा हूँ, जिन्हें यह भी नहीं मालूम कि पेटभर भोजन क्या होता है। लेकिन मैं जहाँ-कहीं भी जाता हूँ, मेरे देशभाइयोंने मेरे अनुरोधका उत्तर बड़े उत्साहसे दिया है। यह मेरे लिए परम सन्तोषकी बात है, बल्कि यही वह चीज है जिसके बलपर चतुर्दिक अन्धकारसे घिरे होनेके बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी है ।

इसलिए आप मुझे मिलनेके लिए बुलाकर लाये और आपने मुझे ठोस सहायता देकर अपनी सहानुभूति प्रकट की, इसपर मुझे कोई आश्चर्य नहीं होता। लेकिन, मुझे आपसे यह कहनेकी जरूरत नहीं है कि आपने जो सहानुभूति मुझे पैसेके रूपमें दी है, वह अपने आपमें पर्याप्त नहीं है। इसे तो मैं आपकी इस आकांक्षाका एक प्रतीक- मात्र मान सकता हूँ कि आप और भी सहायता करनेको तत्पर हैं। इसलिए मैं यहाँ