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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोलम्बोसे प्रस्थान करनेके पूर्व मैं आपसे एक दो बातें कह देना चाहता हूँ। चूंकि आप इस सुन्दर द्वीपमें अपनी जीविका कमा रहे हैं, इसलिए आप यहाँ उसी तरह रहिए जिस तरह दूधमें चीनी रहती है। जिस प्रकार दूधसे लबालब भरी प्यालीमें भी यदि आहिस्तेसे एक चम्मच चीनी डाल दी जाये तो प्यालीसे दूध गिरने नहीं लगता बल्कि चीनी उसमें अपने लिए स्थान बना लेती है, और दूधका स्वाद बढ़ा देती है, उसी प्रकार आप भी इस द्वीपमें रहिए ताकि आप खामखाह टपक पड़नेवाले लोग न माने जायें और जिन लोगोंके बीच आप रहते हैं उनके जीवनको सुखी और सरस बना सकें ।

इस बातका ध्यान रखिए कि भारतमें हममें जो बुराइयाँ हैं वे यहाँ आकर यहाँके जीवनको विषाक्त न करने पायें । हमें अपने साथ अस्पृश्यताके अभिशापको इस देशमें न ले आना चाहिए। परमपिता परमेश्वरके राज्य में कोई छोटा या बड़ा हो ही नहीं सकता। हम कभी-कभी ऐसा व्यवहार करते हैं कि दुनिया शैतानका राज्य बन गई-सी जान पड़ती है। हम इस देशको शैतानका राज्य बनाने के बजाय ईश्वरका राज्य बनायें। हमारा जीवन सर्वथा पवित्र, दृष्टि सीवी और हाथ निष्कलुष हों । और चूंकि आपने मुझे इतने सारे उपहार देनेकी उदारता दिखाई है, इसलिए क्या आपसे यह अपेक्षा भी करूँ कि भविष्य में आप जो भी कपड़ा खरीदेंगे, सब खद्दर ही होगा ?

भाइयो, मैं आपसे इस द्वीपमें मद्यपानके खिलाफ जो महान आन्दोलन चल रहा है, उसमें शामिल होनेका अनुरोध करूँगा । न केवल आप स्वयं मद्यपान न करें, बल्कि इस आन्दोलनकी भी सहायता करें और जिन समाजोंमें लोग मद्यपान करते हों उन्हें इससे छुटकारा पानेमें मदद दें तथा इस देशमें पूर्ण मद्य-निषेध लागू कराने में सहायक बनें ।

आपके सारे सौजन्य और कृपाके लिए मैं आपको एक बार फिर धन्यवाद देता हूँ। आपके इस व्यवहारको में सदा याद रखूंगा।

[ अंग्रेजीसे ]
विद गांधीजी इन सीलोन