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भाषण : मतारामें

ले जानेकी भरसक कोशिश करें। लेकिन, आपको अपनी गतिविधियाँ इस क्षेत्र विशेष तक सीमित रखकर सन्तुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। आपको अपनी गतिविधियोंका विस्तार दूर-दूरके क्षेत्रोंतक करना चाहिए ताकि मद्यपानका अभिशाप पूर्ण रूपसे सदाके लिए मिट जाये और यहाँके लोगोंका जीवन सुरक्षित हो तथा यह देश मदिराके कलंकसे सर्वथा मुक्त हो जाये ।

अन्तमें उन्होंने कहा कि बुद्धने इस सिद्धान्तका प्रचार किया कि सभी मनुष्य समान हैं। किसीका पड़ोसी उतना ही अच्छा है जितना वह स्वयं है। यदि आप इसी समयसे और यहींसे जाति-भेदको दूर करनेकी कोशिश शुरू नहीं कर देते तो इसका मतलब यह है कि आप इस धर्म के सच्चे अनुयायी नहीं हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
सीलोन डेली न्यूज, ३-१२-१९२७

२०८. भाषण : मतारामं

२४ नवम्बर, १९२७

अध्यक्ष महोदय और मित्रो,

आपने मुझे जो मानपत्र और थैलियाँ भेंट करनेका सौजन्य दिखाया है, उस सबके लिए मैं आपका हृदयसे आभारी हूँ। शोफरों, नाइयों तथा अन्य भाइयोंने इस मंचपर अपनी-अपनी थैलियाँ भेंट की हैं। गरीब लोगोंसे प्राप्त इन थैलियोंकी मैं दिलसे कद्र करता हूँ । इनसे प्रकट होता है कि उन्होंने उन लोगोंको भुला नहीं दिया है जो उनसे भी गरीब हैं, लेकिन, एक थैलीकी घोषणा नहीं की गई और वह है आपके प्रतिनिधि श्री ओबेसेकेरेसे प्राप्त ५०० रुपयेका चेक । इस चेकके बारेमें दो तरहके खयाल हैं। एक तो खुद मेरा है और वह यह है कि उन्होंने नम्रतावश अपने दानको छिपा रखा है। लेकिन, एक दूसरा खयाल भी है जो अनुभवपर आधारित होनेके कारण शायद ज्यादा ठीक है। वह यह है कि श्री ओबेसे केरेने बहुत कंजूसीसे काम लिया है और वे नहीं चाहते कि उनके ५०० रुपयेके अनुदानकी घोषणा करके लोगोंको शोफरोंकी थैलीसे[१] उसकी तुलना करनेका मौका दिया जाये । लेकिन, मैं तो एक भिखारी हूँ, एक न्यासी हूँ, इसलिए मैं श्री ओबेसेकेरे तथा उनकी उदारता या कृपणताके बारेमें कोई निर्णय नहीं दे सकता । यह निर्णय तो मैं आप लोगोंपर, जिनके कि वे प्रतिनिधि हैं, छोड़ता हूँ। आप ही जानिए कि उन्होंने आपका ठीक प्रतिनिधित्व किया है या गलत । लेकिन, आप सब भारतके करोड़ों भूखों मरते लोगोंके लिए दिये गये अपने दानके लिए मेरा हार्दिक धन्यवाद स्वीकार कीजिए । मैं तो आपको यही आश्वासन दे सकता हूँ कि इस थैलीमें डाले गये एक-एक

  1. १. शोफर संघने १०० रुपयेकी थैली भेंट की थी।