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भाषण : महिन्द कालेज, गैलेमें

कि इसे आप अपनी स्वार्थ सिद्धिके लिए नहीं, बल्कि देशके गरीबसे-गरीब लोगोंके लिए सीख रहे हैं तो यह मनुष्यको ऊपर उठानेवाला एक धार्मिक कृत्य बन जाता है। इस धर्मकार्यके साथ-साथ कोई ऐसा धन्धा, कोई ऐसा हस्तशिल्प भी जुड़ा होना चाहिए जिसे लड़के अपने बादके जीवनमें जीविकोपार्जनका एक साधन मान सकें ।

धार्मिक शिक्षाको स्थान देकर आपने बिलकुल ठीक किया है। यह समझने के लिए कि धार्मिक शिक्षा सबसे अच्छी तरह किस प्रकार दी जा सकती है, मैंने कई लड़कोंपर प्रयोग करके देखा है। मैंने पाया कि किताबी शिक्षा किसी हदतक तो सहायक है, लेकिन कोरी किताबी शिक्षा बेकार है। मैंने यह पाया कि धार्मिक शिक्षा देनेका तरीका यह है कि शिक्षक खुद ही धर्मनिष्ठ जीवन जियें। मैंने देखा है कि लड़के जितना शिक्षकोंके व्यक्तिगत जीवनसे सीखते हैं, उतना शिक्षकों द्वारा उनके सामने किताबें पढ़ने या मुँहसे दिये गये व्याख्यानोंसे नहीं सीखते। मैंने पाया है कि लड़कों और लड़कियोंमें अपने शिक्षकोंके मनमें प्रवेश कर जानेकी ऐसी क्षमता रहती है जिसका स्वयं उन्हें भी भान नहीं होता, किन्तु जिसके द्वारा वे अपने शिक्षकोंके विचारोंको जान लेते हैं। लानत है उस शिक्षकपर जो मुँहसे एक बात सिखाता है लेकिन हृदयमें कुछ और ही विचार रखता है।

अब बस, एक-दो शब्द सिर्फ लड़कोंके लिए कहकर मैं भाषण समाप्त करूँगा । बहुत-से लड़के-लड़कियों या आप ऐसा भी कहें तो बहुत गलत न होगा कि हजारों लड़के-लड़कियोंके पिताकी हैसियतसे मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आखिरकार आपका भाग्य आपके ही हाथोंमें है। यदि आप दो शर्तोंका पालन करें तो मुझे इसकी कोई परवाह नहीं कि अपने स्कूलमें आप क्या सीखते हैं और क्या नहीं। एक तो यह है कि चाहे जैसी भी कठिन परिस्थिति आ पड़े, आप निर्भीक होकर सत्यपर आरूढ़ रहें। कोई सत्यनिष्ठ और बहादुर लड़का किसी चींटीको भी हानि पहुँचानेकी बात नहीं सोच सकता । अपने स्कूलमें सभी कमजोर लड़कोंकी रक्षा करता है। और स्कूलके अन्दर या बाहरके जिन लोगोंको भी उसकी सहायताकी आवश्यकता होती है, उनकी सहायता करता है। जो लड़का मनसा-वाचा-कर्मणा पवित्र नहीं है वह स्कूलसे निकाल बाहर दिये जाने लायक है। बहादुर लड़का अपना मन सदा पवित्र रखता है, अपनी दृष्टि सीधी रखता है और अपने हाथोंको निष्कलुष रखता है। जीवनके इन मूलभूत सिद्धान्तोंको सीखनेके लिए आपको किसी स्कूलमें जानेकी आवश्यकता नहीं है । यदि ये तीन गुण आपमें हैं तो समझ लीजिए कि आपकी नींव बहुत मजबूत है।

तो अब ईश्वरसे मेरी यही प्रार्थना है कि सच्ची अहिंसा और पवित्रता आपके जीवनमें सदा आपकी सुरक्षा कवच बनी रहे। ईश्वर आपकी सभी उदात्त आकांक्षाओंको फलीभूत करनेमें आपकी सहायता करे । इस समारोहमें शामिल होनेको मुझे निमन्त्रित करनेके लिए मैं आपको एक बार फिर धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]
विव गांधीजी इन सीलोन