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भाषण : स्त्रियोंकी सभा, कोलम्बोमें

प्रसन्न करनेके लिए ऐसा करती है। मैं आपसे कहता हूँ कि यदि आप संसारके विविध कार्यों में अपनी भूमिका निभाना चाहती हैं तो आपको पुरुषोंको प्रसन्न करनेके लिए गहनोंसे सजनेसे इनकार कर देना चाहिए। यदि मैं स्त्री जन्मा होता तो मैं पुरुषके इस दम्भके विरुद्ध विद्रोह कर देता कि स्त्री तो उसके खेलनेकी चीज है और इसीलिए पैदा हुई है । स्त्रीके मनमें प्रवेश करनेकी नीयतसे मैं मानसिक रूपसे स्त्री ही बन गया हूँ। मैं अपनी पत्नीके साथ जैसा व्यवहार किया करता था उससे भिन्न व्यवहार करनेका जबतक मैंने निश्चय नहीं किया तबतक मैं उसके हृदयमें प्रवेश नहीं कर सका। अब मैंने उसके पतिकी हैसियतसे अपने सभी तथाकथित अधिकारोंको छोड़कर उसको उसके सारे अधिकार प्रदान कर दिये हैं। आज आप देखेंगे कि वह मेरी ही तरह सीधी-सादी है। आप उसके अंगपर कोई नेकलेस या बढ़िया कपड़े नहीं पायेंगी। मैं चाहता हूँ कि आप भी उसीकी तरह हो जायें। आप अपनी खुदकी सनक और पसन्दकी गुलाम होनेसे और अपने पुरुषोंकी गुलाम होनेसे इनकार कर दें। अपनेको सजाइए मत, इत्र और लवेंडरके पीछे मत जाइए; यदि आप सुगन्धित होना चाहती हैं तो वह सुगन्ध आपके हृदयसे निकलनी चाहिए, और तब आप पुरुषको ही नहीं, मानवताको भी अपने वशमें कर लेंगी। आपका यह जन्मसिद्ध अधिकार है। पुरुष स्त्रीसे पैदा होता है, वह स्त्रीका ही हाड़-मांस है। अपनी शक्ति पहचानिए और अपना सन्देश एक बार फिर दीजिए।

गांधीजीने सीताकी शुद्धताको शक्तिका उदाहरण दिया, और कुमारी श्लेसिनका उदाहरण दिया जो अपनी शुद्धता और हृदयकी निर्भीकताके कारण दक्षिण आफ्रिकाम हजारों लोगोंकी प्रशंसा-पात्र थीं, जिनमें खूंख्वार पठान, लुटेरे और दुश्चरित्र लोग भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि सच्ची गरिमा किस चीजमें है।

क्या आप बागानोंमें अपनी बहनोंकी दुर्दशाको जानती हैं? उन्हें अपनी बहनों जैसा मानिए, उनके बीच जाइए, और सफाई सम्बन्धी अपने बेहतर ज्ञान तथा अपनी प्रतिभासे उनकी सेवा कीजिए । आपकी गरिमा उनकी सेवामें हो। क्या सेवाके लिए कहीं दूर जानेकी जरूरत है ? ऐसे लोग हैं जो दुष्ट हैं; शराबी हैं जो समाजके लिए खतरा हैं; उनके बीच निर्भीकतापूर्वक जाइए और उनकी दुष्टतासे उनको मुक्त कीजिए, उसी प्रकार जिस प्रकार "साल्वेशन आर्मी" की स्वयंसेविकाएँ निर्भीकता- पूर्वक चोरों और जुआरियों और शराबियोंके अड्डोंपर जाती हैं, और उनके गले और पैरों पड़कर उन्हें सही रास्तेपर ले आती हैं। यह सेवा आपको कहीं ज्यादा फबेगी आपने जो यह अच्छे कपड़े पहन रखे हैं, इनसे भी ज्यादा । तब आप जो धन बचाएँगी, उसका मैं न्यासी होऊँगा और उसे गरीबोंमें बाँटूंगा ।

मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि यह जो सन्देश मैंने आपको दिया है, आपके हृदयमें स्थान पाये ।

[ अंग्रेजीसे ]
विद गांधीजी इन सीलोन