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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिखेंगे... ऐसा काका कहते हैं। तुम्हारे... साथ रहा । बाकी . . . बात वे भूल... नहीं ।[१]

बापूके आशीर्वाद

भाईश्री ५ मामा

अन्त्यज आश्रम
गोधरा, बी० बी० सी० आई० रेलवे

भारत
गुजराती (जी० एन० ३८१८ (२) ) की फोटो-नकलसे ।

१९९. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, कोलम्बोमें

[२]

२२ नवम्बर, १९२७

मैं महिलाओंकी ऐसी सभाओंका आदी हूँ जहाँ हजारों बहनें अपनी स्वाभाविक अवस्थामें आती हैं और जहाँ [ श्रोताओंसे मेरा ] हार्दिक सम्बन्ध होता है। मैं नहीं समझता कि अस्वाभाविक-सी इस सभाके बारेमें भी मैं वही बात कह सकता हूँ ।

भूखों मरते हुए लाखों लोगोंका एक सजीव चित्रण स्त्रियोंके सामने प्रस्तुत करनेके बाद गांधीजीने कहा :

जब महेन्द्र लंका आये थे उस समय मातृभूमि [ भारत ] के बच्चे भूखों नहीं मर रहे थे, न तो भौतिक अर्थमें और न आध्यात्मिक अर्थमें; तथा उस समय हमारा सितारा बुलन्दीपर था और आपने उस गौरवमें हिस्सा बॅटाया । आज बच्चे भूखों मर रहे हैं, और उन्हींकी ओरसे मैं भिक्षा-पात्र लेकर यहाँ आया हूँ, और यदि आप उनके साथ अपने सम्बन्धोंसे इनकार नहीं करती हों, बल्कि उस सम्बन्धमें कुछ गर्वका अनुभव करती हों तो जैसा कि बहुत-सी जगहोंपर बहनोंने किया है, आप मुझे अपना पैसा ही नहीं, बल्कि अपने जेवर भी दें । जहाँ भी मैं बहनोंको जेवरोंसे खूब लदा हुआ देखता हूँ, मेरी भूखी आँखें उन गहनोंपर टिक जाती हैं। गहनोंकी माँग करनेमें एक छिपा हुआ मंशा भी होता है, और वह है स्त्रियोंको गहने और जेवरोंकी बेहद लालसासे मुक्त करना । जो स्वतन्त्रता मैं अन्य बहनोंके साथ लेता हूँ, यदि वही आपके साथ भी ले सकूँ तो मैं आपसे पूछता हूँ कि वह कौनसी चीज है जिसके कारण स्त्री पुरुषोंकी अपेक्षा ज्यादा जेवर लादती है ? महिला मित्रोंने मुझे बताया है कि औरत पुरुषको

  1. १. साधन-सूत्र (पोस्ट कार्ड ) कटा-फटा होनेके कारण यह अंश छूट गया है।
  2. २. "हॉन्टिंग मेमोरी" शीर्षकसे प्रकाशित अपने लेखमें महादेव देसाईंने इस सभाके बारे में लिखा है: "गांधीजीने दक्षिण भारतकी स्त्रियोंको सभाओं जैसी एक सभाकी आशा की थी जिसमें हजारों स्त्रियाँ होंगी। लेकिन उसकी जगह मुश्किलसे एक दर्जन औरतोंकी एक सभा एक शानदार भवनके ड्राइंग रूममें हुई। इसे सार्वजनिक सभाको संज्ञा देना सही नहीं था। एक क्षण तो ऐसा लगा जैसे वह (गांधीजी) कुछ नहीं बोलेंगे और अपने कार्यक्रम में लिखे दूसरे समारोह में चले जायेंगे। लेकिन उन्होंने देखा कि इसमें जो स्त्रियाँ उपस्थित थीं उनका कोई दोष नहीं था। अतः उन्होंने उनके सामने भाषण दिया। "