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भाषण : नुवारा इलियामें

कि सारे धनका अधिक माग गरीबोंके ही हाथमें जाये। जितनी सावधानीसे इसका ख्याल रखा जा सके, उतनी सावधानीसे इसका ख्याल रखना चरखा संघका काम है, ऐसा ही होता मी है। यह भी याद रखना चाहिए कि बंगाल ही केवल एक प्रान्त है जो अपने यहाँ पैदा होनेवाली लगभग सारी खादी अपने ही प्रान्तमें यानी बंगालमें ही खपा लेता है।

आखिरी सवाल ।

मेरी जानकारीके मुताबिक तो खादीकी कीमत सारे हिन्दुस्तानमें घटी है। यही नियम बंगालकी खादी पर भी लागू होता है। जहाँ खादीकी किस्म सुधरी है और कीमत जैसीकी तैसी बनी हुई है, वहाँ भी वह घटी ही कही जायेगी । सामान्य रीतिसे सारे भारतवर्षके लिए यों कहा जा सकता है कि औसत कीमतें कमसे-कम पच्चीस प्रतिशत कम हुई हैं। कई जगहोंपर कई किस्मके कपड़ोंपर तो वे पचास प्रतिशततक कम हुई हैं। अभी हालमें मुख्य ध्यान तो खादीकी किस्म सुधारनेकी ओर दिया जा रहा है।

यह वांछनीय है कि ये बिहारी खादी-भक्त खादीमें जैसी दिलचस्पी लेते हैं, सभी खादी-भक्त वैसी ही दिलचस्पी लें। शंकानिवारण दिलचस्पीको बढ़ाने में मददगार बन जाता है, इसलिए मैं चाहता हूँ कि जिन्हें सच्ची और ठीक शंकाएँ हों वे 'नवजीवन' द्वारा अपनी शंकाओंका निवारण करायें ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २०-११-१९२७

१९२. भाषण : नुवारा इलियामें

२० नवम्बर, १९२७

अध्यक्ष महोदय, देवियो और सज्जनो,

मैं आपको आपके अभिनन्दनपत्र तथा आपकी थैलीके लिए धन्यवाद देता हूँ । हर जगह मेरे भाषणका सिंहली और तमिल भाषाओंमें अनुवाद किया गया है। लेकिन यहाँ चूंकि मैं देखता हूँ कि आपमें से अधिकांश लोग तमिल हैं, इसलिए मैंने स्वागत समितिके अध्यक्षको सुझाव दिया कि सिंहली भाषामें अनुवाद न किया जाये ताकि आपका और मेरा समय बच सके, और मैं आशा करता हूँ कि आप इस व्यवस्थाको स्वीकार कर लेंगे । महोदय, आपने अपने अभिनन्दनपत्रकी सादगीके लिए क्षमा माँगी है। इसमें न केवल क्षमा मांगनेकी कोई जरूरत नहीं थी, बल्कि इसके विपरीत आपने जो पैसा बचाया है उसके लिए आप मेरी हार्दिक बधाईके पात्र हैं। मैं भारतके भूखसे पीड़ित लोगोंका प्रति- निधित्व करनेका दावा करता हूँ और आप जो भी पैसा इकट्ठा करते हैं उसकी एक- एक दमड़ीको उन क्षुधा पीड़ित करोड़ों लोगोंकी खातिर बचाने के मामलेमें मैं या आप जितनी भी कड़ाई बरतें वह कम है। फूलोंपर तथा अन्य सजावटोंपर खर्च होनेवाले एक-एक रुपयेका मुझे मलाल होता है। आप याद रखें कि इस प्रकार हरएक रुपया