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१८७. भाषण : कैण्डीमें

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१८ नवम्बर, १९२७

अध्यक्ष महोदय और मित्रो,

मुझे दुख है कि केवल कुछ महीने पहले मेरी आवाज जैसी थी अब वैसी नहीं रह गई है। मेरी आवाज अब ऐसी है कि वह बहुत दूरतक नहीं पहुँच सकेगी और यदि हॉलमें पीछे बैठे हुए लोग मेरी आवाज न सुन सकें तो आशा है कि वे मेरी इस शारीरिक दुर्बलताके लिए क्षमा कर देंगे। मुझे नहीं मालूम कि आपके सामने खड़े होकर बोलनेमें, शरीरसे असमर्थ होनेके लिए भी मुझे आपसे माफी मांगनेकी जरूरत है या नहीं। आपने मुझे जो अभिनन्दनपत्र भेंट किया है तथा उसमें देशके तथा मानवजातिके प्रति की गई मेरी कुछ सेवाओंका जो उल्लेख किया है उसके लिए मैं आपको सच्चे दिलसे धन्यवाद देता हूँ। आज मैं इस प्राचीन देशके बारेमें तथा यहाँके नागरिक जो कठिनाइयाँ झेल रहे हैं उसके बारेमें कुछ पढ़ रहा था। उसे पढ़कर मेरे मनमें पीड़ा और दुख छा गया है। मैंने अभी वह पुस्तिका समाप्त नहीं की है। लेकिन जो पढ़ा है वह यहाँके नागरिकोंके कष्टोंको जान लेनेके ख्यालसे काफी है। आप श्रोताओंके माध्यमसे मैं उन लोगोंसे यही कह सकता हूँ कि मेरा पूरा हृदय उनके साथ है। आशा है आपकी सारी उत्तम अभिलाषाएँ पूरी होंगी।

जैसा कि कोलम्बोमें मैंने कहा भी था, मैं नगरके जीवनका प्रेमी हूँ। मैं यह जरूर मानता हूँ कि नगर-सेवाका कार्य एक सौभाग्यकी बात है और एक कर्त्तव्य है जिसे स्त्री या पुरुष, प्रत्येक नागरिकको अपनी-अपनी योग्यताके अनुसार निभाना चाहिए। वह सेवा नगरपालिकाका सदस्य बने बिना भी की जा सकती है। हरेक व्यक्तिके भाग्यमें सदस्य निर्वाचित होना नहीं होता। मैं नहीं समझता कि आप लंकाके लोग भारतके लोगोंसे भिन्न हैं, और इसीलिए मुझे भय है कि यहाँ भी भारतकी ही तरह नगरपालिकाओंका सदस्य बननेकी कामना अक्सर होती होगी और यदि ऐसा हो तो हम इस भावनाको जितनी जल्दी निकाल सकें हमारे लिए उतना ही अच्छा है।

मुझे पता नहीं कि आपके यहाँ गन्दी बस्तियाँ हैं या नहीं। मेरे ख्यालमें आप उनसे अछूते नहीं है। लेकिन जो लोग नगर-पार्षद हैं उनका कर्त्तव्य समृद्ध नागरिकों- की अपेक्षा गरीबोंके प्रति कहीं अधिक होता है। बम्बई, कलकत्ता और इलाहाबाद तथा भारतके तकरीबन सभी मुख्य शहरोंमें मुझे नगरपालिकाका अनुभव हो चुका है और मैंने देखा है कि जो लोग प्रभावशाली और पैसेवाले हैं उनको तो नगर- पालिकाकी सेवाका समुचित और तुरन्त लाभ मिल जाता है लेकिन गरीबोंकी ओर

  1. १. नगरपालिकाकी ओरसे दिये गये अभिनन्दनपत्रके उत्तरमें ।