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१८५. भाषण : माटलेकी सार्वजनिक सभामें

१८ नवम्बर, १९२७

आपने जो अभिनन्दनपत्र और थैलियाँ मुझे भेंट की हैं उनके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ ।

आपने अपने अभिनन्दनपत्रोंमें बड़ी कृपापूर्वक मेरी पत्नीका भी उल्लेख किया है। लेकिन आपको यह बताते हुए मुझे बहुत दुःख होता है कि आज सुबह वह मेरे साथ नहीं हैं। दरअसल बात यह है कि हम लंकाकी यात्रा आप लोगोंसे सम्मान प्राप्त करनेके उद्देश्यसे नहीं कर रहे हैं बल्कि भारतके लाखों गरीबोंकी सेवाकी दृष्टिसे जो काम मैंने अपने हाथमें लिया है, उसके लिए कर रहे हैं। मैंने देखा है कि लोग अकसर मेरी पत्नीको मेरी माँ समझनेकी मूल कर बैठते हैं, जैसा कि पिछली रात एक सज्जनने की। मेरे लिए, और मुझे उम्मीद है कि मेरी पत्नीके लिए भी, यह भूल केवल क्षमाके योग्य ही नहीं है बल्कि स्वागतके योग्य भी है। पिछले कई सालोंसे हमारे आपसी समझौतेके अनुसार वह अब मेरी पत्नी नहीं रह गई हैं। कोई ४० साल पहले मैं अनाथ हो गया था, और लगभग पिछले ३० सालोंसे वह मेरी माँ, मित्र, परिचारिका, रसोइया, बोतल साफ करनेवाली और विभिन्न प्रकारके कार्य करनेवाली हैं। यदि दिन शुरू होते ही वह भी सम्मान प्राप्त करनेके लिए मेरे साथ आ जातीं तो मुझे भोजनके बिना रहना पड़ता और अन्य किसीने मेरे कपड़ों और मेरी जरूरतोंका खयाल न किया होता । इसीलिए हमने एक युक्तिसंगत समझौता कर लिया है कि सम्मान मेरे हिस्से रहेगा और सारी मेहनत-मजदूरी उनके हिस्से । मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि उनके बारेमें आपने जो सम्मानजनक बातें कहीं हैं कोई-न-कोई सहयोगी वे सब बातें उनके कानतक पहुँचा देंगे, और मैं आशा करता कि जो सफाई मैंने आपको दी है उसे आप उनकी अनुपस्थितिका पर्याप्त कारण मानकर स्वीकार कर लेंगे।

बेकारकी वैयक्तिक सफाई देनेमें मैंने आपका जो बहुत-सा समय लिया है उसके लिए मैं आपसे माफी चाहता हूँ लेकिन मेरे सामने बैठे हुए पुरुष, खासतौरपर स्त्रियाँ, यदि उस कैफियतके गम्भीर पक्षको समझेंगी और इसमें निहित रहस्यकी कद्र करेंगी तो मुझे कोई शक नहीं कि इससे आप सबको काफी प्रसन्नता प्राप्त होगी ।

मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जिस देशमें भगवान बुद्धकी वाणी गूंज रही हो उस देशकी जनताका ध्यान इस बातकी ओर दिलानेकी कोई जरूरत नहीं है कि यह जीवन सुख और सुविधाओंका नहीं बल्कि कर्तव्य और सेवाका समुच्चय है।

वास्तवमें सांसारिक सुखोंपर तरह-तरहके नियन्त्रण लगानेकी आवश्यकताका भान ही मनुष्यको पशुसे अलग करता है।