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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

निवासस्थान उपलब्ध कर सकें, तो आप ऐसी पतनकारी परिस्थितियोंमें और इतने अपर्याप्त वेतनपर काम करनेसे इनकार कर दीजिए। आप इतने कम वेतनपर काम करें कि जिसमें नैतिकताके बुनियादी नियमोंका पालन करना भी असम्भव हो, उसको अपेक्षा यदि आप बिलकुल भूखे रहनेकी स्थितिको स्वीकार करेंगे तो मैं आपका वीर पुरुषोंकी भाँति सम्मान करूंगा। मुझे इसकी परवाह नहीं कि आप हिन्दू हैं, अथवा आप अपनेको बौद्ध कहते हैं, आप ईसाई है या मुसलमान हैं, धर्मकी माँग एक है और अपरिवर्तनीय है। अपनी पत्नीके अलावा आपको किसी भी अन्य औरतको बहन या माँ समझना चाहिए जिसका शरीर उतना ही पवित्र माना जाना चाहिए जितना कि आपकी बहन या माँका शरीर है। मैं सलाह दूंगा कि आप अपनी यूनियनका इस्तेमाल आन्तरिक सुधारके लिए भी उतना ही करें जितना कि बाहरी हमलेसे बचावके लिए करें और याद रखिए कि जहाँ अपने अधिकारों और सुविधाओंके ऊपर आग्रह करना बिलकुल उचित है वहीं यह भी जरूरी है कि उस दायित्वको भी समझें जो हर अधिकारके साथ जुड़ा हुआ है।

इसलिए जहाँ आप पर्याप्त वेतन, अपने मालिकोंके हाथों उचित मानवोचित व्यवहार तथा अच्छे साफ-सुथरे निवास स्थानोंका आग्रह करेंगे वहाँ आप यह भी समझेंगे कि आपको अपने मालिकोंका काम अपना ही काम समझकर करना चाहिए और पूरी ईमानदारी और ध्यानसे करना चाहिए। आप अपने बच्चोंकी किसी भी हालतमें उपेक्षा न करें, बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा दें और उचित ढंगसे उनका पालन-पोषण करें ताकि जब वे बड़े हों तो मानव-जगत-रूपी मंचपर अपनी भूमिका अच्छे ढंगसे निभा सकें ।

और अन्तमें, आपने भारतके करोड़ों अभागे लोगोंकी याद की, यह तो बहुत अच्छा किया, लेकिन मैं आपको सलाह दूंगा कि आप उनके तथा अपने बीच एक जीवन्त सम्बन्ध स्थापित करें, खासकर यदि आप अब भी समझते हों कि भारत भ्रातृदेश है; आप उन चन्द करोड़ लोगोंकी खातिर वस्त्रपर खर्च होनेवाली हर पाई केवल खादीमें लगायें, अन्य किसी कपड़ेपर नहीं। मैं आपको एक बार फिर आपके इस अभिनन्दनपत्र तथा थैलीके लिए तथा आज शाम मैंने आपसे जो चन्द शब्द कहे हैं, उन्हें धीरज तथा ध्यानके साथ सुननेके लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं आपके स्वयंसेवकोंको भी धन्यवाद देता हूँ जो अपनी योग्यता-भर मेरी सेवा करते रहे हैं और मेरा पूरा ध्यान रखते रहे हैं। हालांकि इस बातका जिक्र मैंने पहले नहीं किया, लेकिन मेरे ध्यानसे यह बात छूटी नहीं थी। मैं आशा और प्रार्थना करता हूँ कि जो शब्द मैंने कहे हैं वे आपके दिलोंमें समा जायेंगे और मेरी जो सलाह आपको ठीक लगे ईश्वर आपको उसे कार्यान्वित करनेकी सद्बुद्धि और शक्ति देगा।

[ अंग्रेजीसे]
सोलोन डेली न्यूज, १७-११-१९२७