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भाषण : श्रमिक संघकी सभा, कोलम्बोमें

पाना बाकी है, आपको शायद रामकी सहायता और रामकी कृपाकी ज्यादा जरूरत है ताकि आप अपनेको अपनी बुराइयाँ दूर करके स्वशासन पानेके योग्य बना सकें । अगर कोई आपसे कहे कि दक्षिण आफ्रिकाके गिरमिटिया मजदूरोंको आंशिक स्वतंत्रता मैंने दिलवाई या अहमदाबाद या मलाबारके मजदूरोंको स्वतंत्रता मैंने दिलवाई तो आप उसका विश्वास मत कीजिए। उन्होंने जो-कुछ प्राप्त किया वह इसलिए प्राप्त किया कि उन्होंने स्वशासनका नियमन करनेवाले अपरिवर्तनीय नियमोंका पालन किया। उन्होंने अपनी मदद स्वयं की, इसलिए वे विजयी हुए। और मैं आपको संक्षेपमें बता दूं कि आपको अपना हक हासिल करनेके लिए क्या करना चाहिए। अपने आपको यूनियनोंके रूपमें संगठित करना निश्चय ही पहला कदम है। लेकिन मैं आपको अनु- भवसे बता सकता हूँ कि जो शर्तें मैं आगे आपको बताने जा रहा हूँ यदि आप उनको पूरा नहीं करते तो आपकी यही यूनियन आपके बन्धनका कारण बन सकती है। आपमें से हरेकको अपने-आपको अपने साथी मजदूरोंके हितोंका न्यासी समझना चाहिए और स्वार्थ-साधक नहीं होना चाहिए। परिस्थितियाँ कितनी ही गम्भीर और उत्तेजक क्यों न हों, आपको उनमें अहिंसक रहना चाहिए। यदि आपको शराबकी बुरी लत है तो आपको उसे बिलकुल छोड़ देना होगा । तभी आप सच्चे इन्सान होंगे और अपनी गरिमाको समझेंगे। शराबके नशेके प्रभावमें मनुष्य पशुसे भी बदतर हो जाता है और अपनी बहन, अपनी माँ और पत्नीके बीच अन्तर भूल जाता है। और यदि आप सचमुच मुझे अपना मित्र मानते हैं तो अपने इस पुराने मित्रकी सलाह मानें और शराबसे उसी प्रकार दूर भागें जिस प्रकार आप अपने सामने फुफकारते हुए किसी साँपके आगेसे भागेंगे। साँप तो केवल शरीरका ही नाश कर सकता है, लेकिन शराब तो आत्माको ही पतित कर देती है। इसलिए शराब तो साँपसे भी ज्यादा भयंकर है। यदि आपको जुआ खेलनेकी आदत है तो आप उससे भी बचें ।

एक इससे भी नाजुक चीज है जिसके सम्बन्धमें कल या आज एक मित्रका पत्र पाकर मुझे कष्ट हुआ । इस मित्रने पत्रमें अपना नाम दिया है। वह मुझे बताते हैं कि मजदूरोंमें व्यक्तिगत शुद्धताका सर्वथा अभाव है। वह मुझे बताते हैं कि आपमें से बहुत-से लोग, स्त्री-पुरुष, शील और मर्यादाका तनिक भी ख्याल किये बिना छोटी- छोटी जगहोंमें जहाँ आड़ और परदेकी कोई गुंजाइश नहीं होती, भरे रहते हैं । मनुष्यको पशुसे साफ अलग करनेवाली बहुत-सी चीजोंमें से एक चीज यह है कि मनुष्यने अपने आरम्भिक कालसे ही विवाह बन्धनकी पवित्रता स्वीकार की है और आत्मसंयमका पालन करके -- जिसे वह उत्तरोत्तर बढ़ाता ही गया है -- स्त्रीके सम्बन्धमें अपने जीवनका नियमन किया है ।

मेरे प्यारे दोस्तो, यदि मनुष्यके रूपमें आपको अपनी गरिमाकी उपलब्धि करनी है और अपनी पूरी ऊँचाईतक उठना है, जैसा कि आपको उठना चाहिए, तो मैंने आपको यह जो छोटी-सी चीज बताई है उसे अपने दिमागमें रखिए, इसे सहेज कर रखिए और आज रातसे ही इसे कार्यरूपमें परिणत कीजिए। यदि आपके साधन ऐसे नहीं हैं कि आप बुनियादी शील-मर्यादाका पालन करने योग्य पृथक् और पर्याप्त