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भाषण : वाई० एम० सी० ए०, कोलम्बोमें

इतना दिव्य है, उसकी महानताको हम कैसे नाप सकते हैं। इस प्रकार हम भले वे ही शब्द उच्चारित करें, लेकिन हम सबके लिए उन शब्दोंका एक ही अर्थ होना जरूरी नहीं है। और इसीलिए मैं कहता हूँ कि हमें अपने भाषणों या लेखों द्वारा शुद्धि अथवा तबलीग या धर्म परिवर्तन करानेकी जरूरत नहीं है। हम अपने जीवनके उदाहरण द्वारा ही वास्तवमें वैसा कर सकते हैं। हमारा जीवन औरोंके लिए खुली किताबकी तरह हो । कितना अच्छा हो कि मैं मिशनरी मित्रोंको अपने मिशनके प्रति यह दृष्टि अपनानेके लिए राजी कर सकूँ । तब न कोई अविश्वास होगा, न सन्देह-ईर्ष्या, और न झगड़े ही होंगे ।

इसके बाद गांधीजीने आधुनिक चीनको मिसालके तौरपर लिया उन्होंने कहा, महान राष्ट्रीय उथल-पुथलकी पीड़ासे गुजरते हुए नवचीनके साथ मेरी हार्दिक सहानु- भूति है। मुझे चीनके यंग विमेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन (ईसाई युवती संघ) और यंग मैन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन (ईसाई युवक संघ) के छात्र विभागसे प्राप्त पुस्तिका से चीनमें चल रहे ईसाई-विरोधी आन्दोलनका पता चला है। पुस्तिकाके लेखकोंने ईसाई-विरोधी आन्दोलनका अपना अर्थ लगाकर उसे प्रस्तुत किया है, लेकिन इसमें कोई सन्देह नहीं है कि नवचीन ईसाई आन्दोलनको चीनकी आत्माभिव्यक्तिका विरोधी मानता है। मेरे लिए इस ईसाई-विरोधी आन्दोलनसे मिलनेवाला पाठ स्पष्ट है । गांधीजीने कहा :

ये नौजवान चीनी ईसाई-धर्म-प्रचारकोंसे कहते हैं कि आप अपने प्रचारको राष्ट्र- विरोधी मत होने दीजिए । पश्चिमकी ओरसे ईसाई धर्मके प्रचारके जो प्रयत्न हुए हैं, उनके प्रति उनके ईसाई मित्र भी सशंक हो उठे हैं। मैं आपसे कहूँगा कि नौजवानों द्वारा लिखे गये इन निबन्धोंमें एक गहरा अर्थ है, एक गहरा सत्य है, क्योंकि ये नौजवान ईसाई शिक्षाओंके अनुसार जिस हदतक अपने जीवनको ढाल पाये हैं, उस हदतक वे अपने ईसाई धर्मानुसार किये जानेवाले आचरणोंको उचित ठहरानेकी कोशिश कर रहे हैं और साथ ही साथ उस विरोधका कोई आधार पानेकी कोशिश कर रहे हैं। इस ईसाई-विरोधी आन्दोलनसे जो निष्कर्ष मैं चाहूँगा कि आप निकालें वह यह है कि आप लंकाके लोग अपने परिवेशसे, अपनी जमीनसे नाता न तोड़ें, और पश्चिमके लोग जाने या अजाने लंकावासियोंके रहन-सहनके ढंग, रीति-रिवाजों और आदतोंको, जिस हदतक वे बुनियादी नीति-धर्म और नैतिकताके विरुद्ध न हों, बदलनेकी कोई कोशिश न करें । आज जिसे हम आधुनिक सभ्यता कहते हैं, उसे ही ईसाके उपदेश मत समझिए, और जिन लोगोंके साथ आपने अपना भाग्य जोड़ लिया है, कृपया उनके साथ अनजाने कोई हिंसा मत कीजिए । धर्मोपदेशकके काममें यह शामिल नहीं है कि वह पूर्वके लोगोंके जीवनको जड़से उखाड़ दे, इसका मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ। उनमें जो कुछ अच्छा है, उसे सहन कीजिए और अपनी पूर्वधारणाओंके वश होकर जल्दबाजीमें उनके सम्बन्धमें कोई राय मत बनाइए । पश्चिमी सभ्यताकी महानतामें आपका अपना जो विश्वास है और अपनी तमाम उपलब्धियों ३५-१७