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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बन सकनेवाले काम पूरे करके यदि हम सन्तोष मान लें तो संस्थाकी जड़ जम जायेगी । और कुछ पूछना चाहो तो जनवरीमें मेरे वहाँ पहुँचनेपर पूछ लेना । काठिया- वाड़के कामका निर्णय भी हम तभी कर लेंगे ।

जमनादास मेरे साथ हैं यह तो तुम जानते ही हो ।

बापूके आशीर्वाद

चि० नारणदास गांधी
सत्याग्रह आश्रम
गुजराती (सी० डब्ल्यू० ७७१३) से।
सौजन्य : नारणदास गांधी

१६४. अनमेल विवाह अथवा बालहत्या

ध्रांगध्रा राज्यमें जो अनमेल विवाह हुआ है अथवा होनेवाला है, उसका मेरे पास जो विवरण आया है, उसपर से मैंने अनमेल विवाहके सम्बन्धमें ४० वर्ष पूर्व जो लेख पढ़े थे उनकी याद हो आती है। आज भी ऐसे सम्बन्धोंका हो सकना दुःखकी बात है।

यह काम किया है ध्रांगध्रा राज्यके एक ब्राह्मण नौकर भट्ट केशवलाल नामक व्यक्तिने । उसकी उम्र ५५ के लगभग है। उसकी तीन लड़कियाँ हैं। चार वर्ष पहले उसकी पत्नीकी मृत्यु हो गई थी। उसने अब फिर विवाह करनेके इरादेसे तेरह-चौदह वर्षकी एक बालिकासे सगाई की है।

इस वृद्ध केशवलालके साथ उसके बड़े दामादका इस सगाईके सम्बन्धमें जो पत्र-व्यवहार हुआ है वह उसने मुझे लिख भेजा है और आशा की है कि मैं 'नवजी- वन' में कुछ लिखूंगा; सम्भव है उससे इस वृद्ध ब्राह्मणकी मति बदल जाये अथवा वह लज्जित हो । अब भी समय है; इस ब्राह्मणको चाहिए कि वह जाग जाये और भविष्य में होनेवाली इस बालहत्याके महापापसे उबरे ।

भर्तृहरिने अपने अनुभवके आधारपर कहा है कि 'कामातुराणाम् न भयं न लज्जा' । यदि तीन-तीन पुत्रियोंके इस कामातुर बापके मनमें किसी तरह भी भय अथवा लज्जा उत्पन्न हो जाये तो उपरोक्त कोमल बालिका, जो उसकी गोदीमें पौत्रीके रूपमें बैठने लायक है, अवश्य बच जाये ।

भट्टजीने ६ अक्टूबरको चराडवासे अपने दामादको लिखा है :[१]

प्रभा, भट्टजीकी सबसे छोटी लड़की है। जब उसका विवाह हो जायेगा तब घर “सूना " लगेगा, इसीलिए इस भले बापको इस उम्र में दूसरा विवाह करनेकी बात सूझी ! लेकिन उसके पत्रके अधिकांश भागकी हर पंक्तिसे तो वासना ही झलकती है ।

  1. १. पत्र यहाँ नहीं दिया गया है।