पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/२५२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सोराबजी और उनकी बहू आज यहाँ पहुँच गये और मेरा आशीर्वाद ले गये । विवाह १८ तारीखको होगा। हरिलालके बारेमें बहुत-कुछ लिखता किन्तु आज मैं इसमें वक्त खर्च नहीं करना चाहता ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ४७२७) की फोटो-नकलसे ।

१४८. सन्देश : लंकाकी जनताको

[७ नवम्बर, १९२७ या उससे पूर्व ]

हालाँकि मैं लंका दरिद्रनारायणके एक आत्म-नियुक्त प्रतिनिधिको हैसियत से जा रहा हूँ और इसीलिए भिक्षापात्रके भरनेकी मुझे काफी आशा है, फिर भी इस ऐतिहासिक द्वीपकी यात्रा करनेकी मेरी बहुत समयसे अभिलाषा थी । १९०१ में वहाँ मैं लगभग पहुँच ही गया था, लेकिन ईश्वरको कुछ और मंजूर था। मैं एक श्रमिक हूँ और लंकाके उन श्रमिकोंसे मिलकर मुझे खुशी होगी, जिनके कारण लंका अपनी वर्तमान स्थितिमें पहुँच सका है।

[ अंग्रेजीसे ]
सीलोन ऑब्जर्वर, ७-११-१९२७

१४९. तार : एन० आर० मलकानीको

बम्बई
७ नवम्बर, १९२७

प्रोफेसर मलकानी

नेशनल कालेज

हैदराबाद (सिन्ध)

यदि थडानी मुक्त कर दें तो तुम सारा ध्यान [ बाढ़ पीड़ितोंको ] राहत देनेके कामपर लगाओ ।

गांधी

अंग्रेजी (जी० एन० ८८०) की फोटो-नकलसे ।