'मारवाड़ी व्याज' प्रयोगसे दुःख लगना नहि चाहीये था । लगा तो मेरे जैसेके तो उसी समय कह देना चाहीये था। मैंने तो उस शब्दका प्रयोग केवल विनोदमें ही कीया था । काठीयावाड़ी शब्दका प्रयोग में बूरे अर्थ में बहोत करता हुं । काठीयावाड़ी- का अर्थ खरपटीलुच्चा ऐसे होता है। इसका अर्थ यह तो नहि है की मैं भी ऐसा हुं । आपके प्रेमके वश होकर मैं विनोदमें भी आप चाहें तो मारवाड़ी शब्दका बूरे अर्थमें प्रयोग नहि करूंगा। परंतु मैं चाहता हूं कि आप ऐसे शब्दप्रयोगसे न डरें । 'व्हॅन ग्रीक मीट्स ग्रीक[१] का प्रयोग प्रख्यात है। इससे कोई ग्रीक मात्रको दगाबाझ नहि समझेगा ।
आपके जाननेके लीये मैं लीखता हूँ की गूजरातमें भी अयोग्य और निर्दय सूद लेनेवाले बहोत हैं। मारवाड़ी अच्छे हो या बूरे आप तो शरीरमें अच्छे बन जांय जैसे हृदयसे हैं; और मारवाड़ीकी आहूती भारतवर्षके यज्ञमें कर दें।
आपका,
मोहनदास
[२] २२-२५ यात्रा
- सी० डब्ल्यू० ६१५० से ।
- सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला
१४६. पत्र : मीराबहनको
६ नवम्बर, १९२७
‘मेरे मन कछु और है, विधनाके कछु और' । बम्बई पहुँचनेपर शान्तिकुमारने बड़े इत्मीनानसे मुझे बताया कि जहाज आज नहीं जा रहा है, कल जायेगा । इसमें उनका कोई दोष नहीं था। उन्हें स्वयं इतनी देरसे इस स्थगनका पता चला कि मुझे सूचित नहीं कर सके। मैं चाहता तो आज रेलगाड़ीसे चल सकता था। लेकिन मैं एक दिनके विलम्बमें हर्ज नहीं समझता । स्टीमर ९ या १० तारीखको तूतीकोरिन पहुँचेगा ।
मुझे आशा है कि तुम पूरी तरह सुचित्त हो और तुमने कृष्णदासके साथ सब- कुछ साफ कर लिया है। मैं कल भणसालीके साथ अपनी बातचीतसे सन्तुष्ट नहीं हुआ। उसकी आँखें और भाव-भंगिमा बदल गई हैं। वह बहुत भलमनसाहत और