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भाषण : जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्लीमें

नहीं करते तो आपकी खादी और तकली व्यर्थ होंगी। लेकिन मुझे विश्वास है कि हकीम साहबने आपसे खादी पहननेकी आवश्यकताके बारेमें जो कुछ बताया है, उसे आप भूलेंगे नहीं। आप यह बात ध्यान में रखेंगे कि खादीके जरिये ही हम आज सैकड़ों बुनकरों, धोबियों, बढ़इयों आदिके अलावा ५०,००० कतैयोंको रोजी दे रहे हैं। यह मत भूलिए कि इनमें बहुत-से मुसलमान हैं। चरखेके बिना कई जगहोंपर मुसलमान औरतें भूखों मर रही होतीं। खादी पहननेके सिवा कोई दूसरा तरीका नहीं है जिसके जरिये आप गरीब हिन्दुओं और मुसलमानोंके साथ अपना तादात्म्य स्थापित कर सकें ।

इसके बाद महात्माजी चरित्र-निर्माणको अनिवार्य आवश्यकताके विषयमें बड़ी उत्कटतासे बोले। उन्होंने कहा :

देशमें अपने दौरोंमें मैं हजारों छात्रोंसे मिलता हूँ। मैं देखता हूँ कि वे भद्दी और गन्दी आदतोंमें फंसे हुए हैं। उनकी चर्चा करनेकी जरूरत नहीं है, क्योंकि आप सभी उन्हें जानते हैं। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको उन गन्दे कामोंसे बचाये । जब मनुष्य अपने हाथ, आँखों और अपने दिमागको गन्दा कर लेता है तो वह मनुष्य नहीं रह जाता, बल्कि पशु बन जाता है।[१]

हाथ, दिमाग या आँखोंसे कोई बुरा काम करनेसे आपको हमेशा बचना चाहिए। यदि हम सच्चे वीर पुरुष बनना चाहते हैं तो हमें सभी स्त्रियोंको उनकी आयुके हिसाबसे अपनी माँ, बहन या बेटी मानना चाहिए। किसी स्त्रीपर बुरी नजर न डालिए । हमें स्त्रियोंके सम्मानकी रक्षाके लिए मरनेको तैयार रहना चाहिए । मैं जानता हूँ कि लोग आजकल इस कर्त्तव्यको भूलते जाते हैं। मैं ईश्वरसे एक बार फिर प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको इस बुराईसे बचाये ।[२]

और सबसे बड़ी बात यह है कि आप अपने आपको शुद्ध और स्वच्छ रखें, प्राणोंकी कीमतपर भी अपने वचनको निभाना सीखें, और मैंने जो दृष्टान्त आपके सामने दिये हैं, उनकी याद अपने दिलोंमें हमेशा ताजा रखें ।

अन्तमें महात्माजीने छात्रोंको थैलीके लिए धन्यवाद दिया और यह कामना व्यक्त की कि उनका विश्वविद्यालय दीर्घजीवी हो और भारतकी आजादीका केन्द्र बने ।[३]

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १०-११-१९२७

हिन्दुस्तान टाइम्स, ४-११-१९२७
 
  1. १,
  2. २ तथा
  3. ३. ये अनुच्छेद हिन्दुस्तान टाइम्स से लिये गये हैं।