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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न : यदि आपसे शाही आयोगका सदस्य बननका प्रस्ताव किया जाये तो क्या आप उसे स्वीकार कर लेंगे ?

उत्तर : यह प्रश्न मुझसे पूछनेसे क्या लाभ ? इसी तरह एक बार मैंने यह ? कपोल-कल्पना की थी कि यदि मुझे भारतका वाइसराय नियुक्त कर दिया जाये तो मैं क्या करूँगा । लेकिन उस प्रकारकी कल्पनाएँ करनेके दिन बीत चुके हैं।

अन्तमें 'हेराल्ड' के प्रतिनिधिने पूछा: “देशकी व्याधियोंके एक अमोघ उप-चारके रूपमें यह सुझाव दिया गया है कि आप राष्ट्रके लिए जो भी करना चाहें उस सबमें आपको तानाशाहके जैसे अधिकार दे दिये जाने चाहिए और आपको भारतका मुसोलिनी बनने के लिए राजी किया जाना चाहिए। आपके खयालसे यह हो जाये तो कैसा रहेगा ?"

गांधीजी इसपर खूब हँसे, और फिर पूरी गम्भीरतापूर्वक बोले :

मुझमें न तो मुसोलिनीकी जैसी महत्वाकांक्षा है और न मेरे पास वैसे अधिकार कभी हो सकते हैं। यदि मुझे जबरदस्ती तानाशाह बना ही दिया जाये तो मैं भारतीय मुसोलिनीके रूपमें बड़ा दयनीय सिद्ध होऊँगा । इसके अलावा, सामाजिक या अन्य किसी प्रकारका कोई सुधार जबर्दस्ती नहीं थोपा जा सकता। दूसरे शब्दोंमें, आप लोगोंको बलपूर्वक अच्छा नहीं बना सकते ।

[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका, ३-११-१९२७

१३३. टिप्पणी

अनाथ

जिस भाषाका ऐसा कोई कोश न हो जिसे सब लोग स्वीकार करते हों और जिसमें उस भाषाके सारे शब्द मिल जाते हों उसे अनाथ ही कहना होगा। अंग्रेजी शब्दोंकी वर्तनीके लिए हमारे पास असंख्य साधन हैं। बृहत्कोशसे लगाकर जेब में रखने लायक छोटे-छोटे और सस्ते अनेक कोश उसमें मिल सकते हैं और सबमें शब्दोंकी वर्तनी एक-जैसी मिलती है।

मेरा खयाल है कि हिन्दुस्तानकी दूसरी भाषाओंमें उन भाषाओंके लोक-स्वीकृत कोश विद्यमान हैं, उस दृष्टिसे गुजराती ही एक अनाथ भाषा ठहरती है। मैं गुजरातीके ऐसे एक भी शब्दकोशको नहीं जानता जो सर्वमान्य हो अथवा जिसमें सारे गुजराती शब्द मिल जाते हों। मैंने इस दिशा में अनेक बार प्रयत्न किया; किन्तु हर बार असफल हो गया ।

कितने ही सेवक वर्षों से इस अभावको दूर करनेके लिए प्रयत्न कर रहे हैं। कहा जा सकता है कि वह प्रयत्न[१] अब ठिकाने लगा है। उसकी खास जिम्मेदारी भाई

  1. १. जोडनी कोश, काका कालेलकरकी भूमिकाके साथ १९२९ में प्रकाशित ।