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भेंट : 'इंडियन नेशनल हेराल्ड के प्रतिनिधिसे

महात्माजीके इस कथनपर कि कुछ हिन्दू मन्दिरोंमें ईश्वरका उतना ही वास है जितना कि एक वेश्यालयमें, जो टोकाएँ हुई हैं उनका उत्तर देते हुए महात्माजीने कहा :

मैं अपने कथनसे एक अक्षर भी वापस न लूंगा । एक विचारसे यह बिलकुल ठीक है कि ईश्वर सर्वव्यापी है - चोरोंके अड्डोंमें, ताड़ीखानोंमें और वेश्यालयोंमें भी वह मौजूद है। पर ईश्वरकी उपासनाके लिए हम इन स्थानोंपर नहीं जाते बल्कि इस कामके लिए हम मन्दिर ढूंढ़ते हैं और वह इस विश्वाससे कि वहाँका वायुमण्डल शुद्ध होगा। मैं कहता हूँ कि इस दृष्टिसे ईश्वर कुछ मन्दिरोंमें नहीं वास करता और यदि करता है तो उसी प्रकार जिस प्रकार एक वेश्यालयमें भी उसका वास है। मेरे इस कथनसे यदि कुछ हिन्दुओंके भावोंपर आघात पहुँचा हो तो मुझे इसका बहुत दुःख है पर सत्यकी और हिन्दू धर्मकी रक्षाके लिए मैं अपने कथनको न वापस ले सकता हूँ न उसमें कुछ घटा-बढ़ा सकता हूँ। 1

पुतला [ प्रतिमा ] सत्याग्रह[१] के सम्बन्ध में महात्माजीने कहा :

जब मद्रास कौंसिलने पुतला [ प्रतिमा ] हटानेके प्रस्तावको अस्वीकृत कर दिया है तो मद्रासके नवयुवकोंको चाहिए कि वे अब दूना उद्योग करें और कौंसिलके जिन सदस्योंने प्रस्तावका समर्थन किया है उन्हें चाहिए कि वे इन नवयुवकोंको हर तरहसे मदद करें। मैं यह कहे बिना नहीं रह सकता कि जिन भारतीय सदस्योंने प्रस्तावका विरोध किया है उन्होंने आन्दोलनके महत्त्वको नहीं समझा और यूरोपियनोंकी ओरसे जो बाधा डाली गई उसके लिए भी मुझे खेद है ।

हिन्दू, ३१-१०-१९२७
आज, ३१-१०-१९२७

१३२. भेंट : 'इंडियन नेशनल हेराल्ड के प्रतिनिधिसे

[ ३० अक्टूबर, १९२७ या उससे पूर्व

[२]

'इंडियन नेशनल हेराल्ड' के एक प्रतिनिधिने गांधीजीसे पूछा कि इस बातकी काफी अफवाह है कि ब्रिटिश संसद द्वारा जो आयोग नियुक्त किया जा रहा है उसमें संसदके सदस्य ही होंगे और भारतीयोंकी स्थिति मात्र परामर्शदाताओंकी होगी । यदि यह बात सच हुई तो वाइसरायसे होनेवाली भेंटमें आप क्या रुख अपनायेंगे ? गांधीजीने उत्तर दिया :

शाही आयोग किस प्रकार गठित किया जाये, इस विषयका मुझसे उतना ही सम्बन्ध है जितना कि तपेदिककी बीमारीके इलाजका, जो किसी चिकित्सा विशेषज्ञके क्षेत्रकी चीज है। मैंने शाही आयोगके विषयमें कोई विचार नहीं किया है, क्योंकि वह स्पष्ट रूपसे मेरे ज्ञान, मेरे विचार और मेरी प्रवृत्तियोंके क्षेत्रसे बाहरकी चीज है।

  1. १. मद्रासमें जनरल नीलकी प्रतिमा हटानेके लिए; देखिए पृष्ठ ५५-५८ तथा १२९-३१ भी ।
  2. २. गांधीजी २९ अक्बटूरको बम्बई आये और ३० को दिल्ली के लिए रवाना हो गये । ३५-१४