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अनुकरणीय

ऊपरके उद्धरणोंमें उल्लिखित समितिका सदस्य होनेका अनुरोध मैं स्वीकार नहीं कर सका हूँ। कारण, मेरे पास कई काम हैं, और मैं सैकड़ों समितियोंकी सदस्यताका बोझ उठा नहीं सकता। मेरा विश्वास इसमें कभी नहीं रहा है कि हम सिर्फ शोभाके लिए या नाम लिखानेके लिए समितियोंके सदस्य बनें। मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि अन्नपूर्णादेवी-जैसी बहादुर और पवित्र देशभक्तकी स्मृतिको चिरस्थायी बनानेके लिए एक स्थानीय स्मारक अवश्य बनना चाहिए। मगर अन्नपूर्णादेवीका सबसे अच्छा स्मारक यह होगा कि उनके पति अपनी पत्नीके मार्गपर चलें, और अपनी खोयी हुई संगिनीको देशकार्यमें ही पाकर उसकी यादको चिरस्थायी बनायें । कारण, उन्हींके कथनानुसार अन्नपूर्णादेवीने अपने-आपको इसी काममें खपा दिया था ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २७-१०-१९२७

१२७. अनुकरणीय

चाँदा (मध्यप्रान्त) की म्युनिसिपैलिटीके उप-सभापति लिखते हैं:

मध्यप्रान्त और बरारमें हमारी हो म्युनिसिपैलिटीने सबसे पहले खादी परसे चुंगी उठा दी है। इसके अलावा १९२२ से यह म्युनिसिपैलिटी खादीके लिए हर साल ५०० रुपयेकी आर्थिक सहायता देती आई है जिससे यहाँ एक "शुद्ध खादी कार्यालय " चलता है। यह कार्यालय अब अ० भा० चरखा संघसे सम्बद्ध हो गया है। इसका सूत महाराष्ट्र में समानता, मजबूती और अंकमें सबसे अच्छा पाया गया है । १९२२ से अबतक म्युनिसिपैलिटी अपने कामके लिए केवल चाँदा खादी कार्यालयमें बनी खादी हो खरीदती रही है। अब म्युनिसिपैलिटी अपने स्कूलोंमें खादी दाखिल करानेकी एक योजनापर विचार कर रही है।

ऊपर उल्लिखित प्रस्ताव यह है :

निश्चय किया जाता है कि अ० भा० चरखा संघसे जिस कपड़ेपर यह प्रमाणपत्र मिला हो कि यह हाथकती, हाथबुनी खादी है, उसपर चुंगी नहीं ली जायेगी ।

इस उदाहरणका अनुकरण सभी म्युनिसिपैलिटियाँ कर सकती हैं। खादीके लिए इस म्युनिसिपैलिटीका यह प्रेम कुछ नया नहीं है बल्कि उसके लिए यह बहुत काम कर चुकी है। दूसरी कई बड़ी-छोटी म्युनिसिपैलिटियोंकी तरह इसने अपना काम नहीं बन्द किया, वह बढ़ता ही गया है। इस म्युनिसिपैलिटीको इतनी सफलता इसलिए मिली है कि इसके कई सदस्य चरखेके सन्देशमें सिर्फ विश्वास ही नहीं करते बल्कि उसे अपने जीवनमें उतारते हैं। खादीका विकास इस म्युनिसिपैलिटीमें स्वाभाविक