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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसलिए इन सब कारणोंसे मैं कल मंगलोरसे समुद्रके रास्ते रवाना हो जाऊँगा । इस प्रकार सहसा जानेके लिए आप मुझे क्षमा करें।

छ: या सात साल पहले मैं यहाँ अपने भाई मौलाना शौकत अलीके साथ आया था। उस यात्राको मैं कभी भूलूंगा नहीं। उस समय हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सिख तथा इस देशके अन्य लोग शान्तिपूर्वक रह रहे थे। उनमें परस्पर विश्वास था । उनमें आपसमें पूरा भरोसा था । लेकिन उत्तरी भारतमें आज हिन्दू और मुसलमान एक दूसरेके साथ लड़ रहे हैं और एक दूसरेका सिर फोड़ रहे हैं । ऐसी स्थिति खत्म होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि बहुत जल्दी ही उनके सम्बन्ध अच्छे हो जायेंगे ।

अपने सभी अभिनन्दनपत्रोंमें आपने चरखे तथा खादीका उल्लेख किया है और आन्दोलनको सफलतामें अपना पूरा विश्वास जताया है। आपने जो रुपया मुझे दिया है वह उसी कामके लिए है। आपका यह कहना ही काफी नहीं है कि आपकी इस आन्दोलनमें श्रद्धा है। इससे आन्दोलन सफल नहीं होगा। खादी आन्दोलन तो तभी सफल होगा जब आप सब खद्दर पहनेंगे। मैं अपने चारों ओर आपमें से बहुत-से लोगोंको विदेशी कपड़ा पहने हुए देख रहा हूँ। हमारे देशमें कपासका और खाद्य पदार्थों का काफी उत्पादन होता है। यदि आपके सारे देश भाई केवल बाहरसे आनेवाले खाद्य पदार्थोंका ही उपयोग करते होते तो आज हमारी स्थिति क्या होती? वही बात विदेशी कपड़ा पहननेमें है। मेरी एक बहनने मुझे बताया कि जबतक उसे बढ़िया खादी नहीं मिलेगी तबतक वह खादीके कपड़े नहीं पहनेगी। अब मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ। मान लीजिए आपकी माँने या आपकी बेटीने खाना बनाया है, तो चाहे वह बहुत बढ़िया न भी हो, तो भी आप उसे पसन्द करते हैं। उसी तरह आपको अपने भाई-बहनों द्वारा तैयार किया कपड़ा भी सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए, चाहे वह थोड़ा घटिया ही क्यों न हो । जहाँतक बढ़िया खादीका सम्बन्ध है, मैं आपको आपके मनके मुताबिक बढ़िया खादी दिला सकता हूँ। आप देख सकते हैं कि जिस कपड़ेपर अभिनन्दनपत्र छपे हैं वह, और खद्दरकी जो साड़ियाँ मेरी पत्नी पहनती है उनका कपड़ा कितना बढ़िया है। यदि आप थोड़ी भी तकलीफ उठायें और रुचि लें तो आप भी ऐसी बढ़िया खादी तैयार कर सकते हैं। मेरी आपसे यह प्रार्थना है: आप मुझसे यह प्रतिज्ञा करें कि आजके बाद आप सिर्फ खादी ही पहनेंगे ।

आपकी नगरपालिकाके अभिनन्दनपत्रसे मुझे यह जानकर खुशी हुई कि नगर- पालिकाके अधिकार क्षेत्र में आनेवाली शालाओंमें कताई शुरू कर दी गई है। इन शालाओंमें छोटे बच्चे तकलीकी सहायतासे सुन्दर धागा तैयार कर सकते हैं। शालाओं में प्रयोगके लिए यह बेहतरीन औजार है। आपको उन्हें वैज्ञानिक तरीकेसे कातना सिखाना चाहिए। मैंने देखा है कि जो खादी कातनेमें लगे हैं वे बहुत खुश हैं और सन्तुष्ट हैं। लेकिन नगरपालिकाके सारे सदस्य खद्दर नहीं पहनते। मुझे मालूम है कि वे चरखा भी नहीं चलाते। इसलिए अगर वे शालाओंमें चरखा शुरू करते हैं और