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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कुछ अन्य बातें भी हैं जिनके बारेमें मैं अन्य सभाओंमें बोलता रहा हूँ। वे बातें महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन उनमें मैं आपका समय नष्ट नहीं करना चाहता। लेकिन मैं आपके साथ कुछ और सौदा करना चाहता हूँ। मुझे यहाँ स्त्रियोंसे कुछ जेवर मिले हैं। मेरे पास हाथसे तैयार की गई खादीका एक टुकड़ा है जो मेरी रायमें सुन्दर है और जो मुझे शबरी आश्रममें दिया गया था। इस आश्रमको आपमें से बहुतसे लोग जानते होंगे या उन्हें जानना चाहिए। यह आश्रम चुपचाप खादीका कार्य कर रहा है और अस्पृश्योंके बीच काम कर रहा है। मैं चाहूँगा कि आप उसके कार्यको देखें और यदि वह आपको पसन्द आये तो आप आश्रमकी सहायता करें। यह खादीका टुकड़ा जिस सूतसे बना है उसे एक ब्राह्मण, दो नायर, तीन पुलाया और चार थिया व्यक्तियोंने काता है। इसे बुना भी आश्रमके बालकोंने ही है। इस तरह उसके पीछे एक रंजक इतिहास है।

मैं आपका ध्यान इस पुस्तककी[१] ओर तो पहले ही दिला चुका हूँ और एक मित्रके द्वारा भेंट की गयी ये सारी पुस्तकें भी बहुत उपयोगी हैं। और यदि आपमें मेरे साथ यहाँ थोड़ी देर और रुकनेका धीरज है और यदि आप इन चीजोंके लिए बोली बोलेंगे तो स्वभावतः इसमें थोड़ा समय लगेगा। महिलाओंकी सभामें एक महिलाने मुझे एक बहुत सुन्दर अलार्म घड़ी दी थी। इसमें एक बार चाबी भरनेसे यह आठ दिन चलती है और यह बिलकुल दुरुस्त हालतमें है। और यह एक कलाई घड़ी और कुछ अँगूठियाँ हैं जिनमें से एक सुन्दर है। और फिर ये चौखटे हैं जिनके बारेमें सभी जानते हैं कि सभामें उनके खरीदे जानेकी उम्मीद है। मैं इन्हीं चौखटोंसे आरम्भ करता हूँ। मेरे पास इन सभी अभिनन्दनपत्रोंकी प्रतियाँ हैं जो मैंने पहले ही प्राप्त कर ली थीं। अब हम शुरू कर सकते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २७-१०-१९२७

१२३. तार : विट्ठलभाई झ० पटेलको

२६ अक्टूबर, १९२७

मंगलोरसे बोट द्वारा उन्तीसको बम्बई पहुँच रहा हूँ। तीसको बड़ौदासे आपको ले लूंगा ।[२]

[ अंग्रेजीसे ]
विट्ठलभाई पटेल, लाइफ ऐंड टाइम्स, खण्ड २
 
  1. १. रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित साधना नामक पुस्तक |
  2. २. वाइसरायसे भेंटके लिए दिल्ली जाते हुए।