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११८. पत्र : आर० पार्थसारथीको

२४ अक्टूबर, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मुझे याद नहीं कि मैंने कभी मिलके कपड़ेको, विशेषकर विदेशी कपड़ेको खादीके साथ-साथ ही प्रदर्शित करनेकी बातका समर्थन किया हो । मैंने तो, यह जानते हुए भी कि प्रदर्शनी में कहीं भारतीय मिलके कपड़े भी प्रदर्शित किये जायेंगे, अनिच्छापूर्वक बस इतनी बात मानी थी कि खादीका प्रदर्शन किसी अलग स्थानपर किया जाये ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीयुत आर० पार्थसारथी

१२, अरंडेल स्ट्रीट
माइलापुर

मद्रास
अंग्रेजी (जी० एन० १०८४७) से ।

११९. तार : वाइसरायको

[१]

[२४ अक्टूबर, १९२७ या उसके पश्चात् ]

वाइसराय महोदय
वाइसराय शिविर

आपका तार अभी प्राप्त हुआ । उसे देखते नियत समयपर सेवामें उपस्थित होनेकी आशा करता

गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० १२८६६) की फोटो-नकलसे ।
  1. १. यह वाइसराय महोदयके २४ अक्टूबर, १९२७ के निम्नलिखित तारके उत्तर में भेजा गया था: " मैं कुछ महत्त्वपूर्ण और फौरी मामलोंपर आपसे बात करनेको उत्सुक हूँ, और यदि आपके लिए सुविधा- जनक हो, और आप दिल्ली आकर मुझसे मिल सकें तो मुझे बहुत खुशी होगी। मेरे लिए सबसे सुविधा- जनक दिन बुधवार २ नवम्बर, साढ़े ग्यारह बजे होगा। मैं जानता हूँ कि मैं आपको बहुत कम अग्रिम सूचना दे रहा हूँ लेकिन मुझे आशा है कि उससे आपके लिए आ सकना असम्भव नहीं होगा। कृपया तार दें कि क्या उस तारीखको आप आ सकते हैं। "