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तार : विट्ठलभाई झ० पटेलको

मुझे यहाँ आज सुन्दरम्[१] एकाएक मिल गया। मैंने देवदाससे आश्रम जानेको कहा था; मगर उसने वर्धा जाना पसन्द किया। मुझे लगता है उसका घाव भरनेमें कुछ समय लगेगा ।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च :]
बालकृष्ण.....[२]
गुजराती (एस० एन० ९४१२) की फोटो-नकलसे ।

१११. तार : विट्ठलभाई झ० पटेलको

[३]

तिरुपुर
२३ अक्टूबर, १९२७

तार अभी मिला । प्रकाशनकी कठिनाईको मैं अनुभव करता हूँ और मेरी उपस्थिति अत्यावश्यक है, यह देखते हुए यदि मुझे निमन्त्रण चौबीस तक तिरुपुरमें या पच्चीसको कालीकटमें या छब्बीस और उसके बाद मंगलोरमें मिल गया तो मैं खुशीसे स्वीकार कर लूंगा।

गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० १२८६५) की फोटो-नकलसे ।
  1. १. त्रिभुवनदास लुहार, एक कवि जिन्होंने अपना यह उपनाम रख लिया था।
  2. २. साधन-सूत्रमें दो शब्द अस्पष्ट हैं।
  3. . पद तार विठ्ठलभाई झ० पटेलके निम्न तारके उत्तरमें था: “वाइसरायसे यह तार मिला। शुरू : ८२८ सो० आपके २० अक्टूबरके तारके लिए बहुत धन्यवाद। मैं गांधीको कठिनाइयोंको अच्छी तरह महसूस करता हूँ और उनके स्वास्थ्यको देखते हुए यह सुझाव कि वह अपने कार्यक्रमको बदले और लम्बी यात्रा करें तबतक नहीं देता जबतक कि मैं उनसे मिलना महत्त्वपूर्ण नहीं मानता होता। यदि मुलाकात होती है तो मैं निमन्त्रणका तथ्य घोषित करनेको बिलकुल राजी हूँ लेकिन मैं मुलाकातके सार-संक्षेपको प्रकाशित करने की बात नहीं मान सकता, क्योंकि इससे मुलाकातको गोपनीषता खंडित होगी। आपसे यह सुननेपर कि इन परिस्थितियों में वह दिल्ली आयेंगे, मैं उन्हें खुशीसे निमन्त्रण भेज दूंगा । कृपया पता लगा कर मुझे तारसे सूचित कीजिए। इस बीच अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो मेरा विचार डा० अन्सारीको२ नवम्बरको मुझसे यहां आकर मिलनेके लिए अविलम्व निमन्त्रित करनेका है। ' समाप्त । देशकी खातिर जोरदार सलाह और आग्रह करता हूँ कि आप मुझे वाइसरायको यह आश्वासन देनेकी अनुमति देंगे कि आप उनका निमन्त्रण स्वीकार कर लेंगे। तुरन्त उत्तर दीजिए। " ३५-१२